मंडल में अलग-अलग सेक्शन है। इन सेक्शन पर ट्रैक की सुरक्षा के लिए रेलपथ निरीक्षक कार्य करते हैं। इनको हर दिन पटरी का निरीक्षण करने अपने सेक्शन में जाना होता है। इस निरीक्षण के बाद इसकी रिपोर्ट सेक्शन इंजीनियर को दी जाती थी। वॉकी-टॉकी से लाभ इसलिए होगा कि जहां भी सेक्शन में इन्होंने गड़बड़ी देखी वहां की जानकारी तुरंत दे पाएंगे।
रेलवे नियंत्रण कक्ष से जुड़ाव रेलवे में रेलपथ निरीक्षक को दी गई वॉकी-टॉकी के सिग्नल रेलवे नियंत्रण कक्ष से जुडे़ रहेंगे। एेसे में जहां भी कुछ गड़बड़ मिली, इसकी सूचना तुंरत दी जा सकेगी। इससे यात्री हो या मालगाड़ी किसी प्रकार की कोई दुर्घटना नहीं होगी। बता दे कि मंडल में ये पहली बार हो रहा है कि रेलपथ निरीक्षक को वॉकी-टॉकी दी गई हो।
इस तरह होगा लाभ मंडल में एक रेलपथ निरीक्षक को कम से कम 8 किमी व अधिकतम 15 किमी तक निरीक्षण करना होता है। कई बार ये दूरी इससे भी अधिक लंबी होती है। एेसे में वॉकी-टॉकी होने से यात्री सुरक्षा बेहतर हो पाएगी। अब तक अगर कुछ गड़बड़ नजर आए तो मोबाइल से सूचना दी जाती थी। मंडल में बामनिया से लेकर दाहोद तक के सेक्शन में कुछ क्षेत्र एेसे है जहां पर किसी भी कंपनी का मोबाइल सिग्नल कार्य ही नहीं करता है। एेसे में रेलनेट की मदद से चलने वाले से वॉकी-टॉकी यात्री सुरक्षा में मददगार साबित होंगे।
इस तरह है सेक्शन
मंडल में रतलाम मेघनगर, मेघनगर से दाहोद, दाहोद से गोधरा, रतलाम से नामली, नामली से जावरा, जावरा से ढोढऱ, ढोढर से दलोदा, दलोदा से मंदसौर, मंदसौर से नीमच, नीमच से चंदेरिया, रतलाम से खाचरोद, खाचरोद से नागदा, नागदा से उज्जैन, उज्जैन से मक्सी, मक्सी से शुजालपुर, शुजालपुर से बैरागढ़ इस तरह सेक्शन है। इनमे रेलपथ निरीक्षक कार्य करते है।
यात्री सुरक्षा पर पूरा ध्यान रेलवे का पूरा ध्यान यात्री सुरक्षा व सुविधा पर है। इसलिए ये सुविधा की शुरुआत की गई है। इससे समय रहते रेलपथ निरीक्षक वरिष्ठ कार्यालय को जानकारी दे पाएंगे।
– जेके जयंत, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल