बाद में रेलवे स्टेशन पहुंचे व करीब दो घंटे तक विभिन्न प्लेटफॉर्म पर गए। इन प्लेटफॉर्म पर यात्री सुविधा की जानकारी ली व यात्रियोंं से बात भी की। यात्रियों ने बताया कि देशभर के यात्री यहां आते है। आकस्मिक स्थिति होने पर चिकित्सक की सुविधा तो मिलती है, लेकिन दवा की सुविधा नहीं है। इस बारे में योजना बनाने का भरोसा डीआरएम ने दिया। स्टेशन के अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान लॉबी, रनिंग रूम आदि को भी देखा। शाम को सड़क मार्ग से डीआरएम वापस आ गए।
मंडल मुख्यालय के स्टेशन रतलाम के विभिन्न प्लेटफॉर्म के स्टॉल से जनता खाना गायब हो गया है। शनिवार दोपहर 12 बजे बाद पत्रिका टीम ने जब अलग-अलग प्लेटफॉर्म की दुकानों को स्कैन किया तो किसी भी स्टॉल पर जनता खाना के पैकेट नहीं मिले। एक स्टॉल पर काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि वे बनाते ही नहीं है। तत्कालीन समय में रेलमंत्री ममता बनर्जी ने सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए जनता खाना की शुरुआत हुई थी। इसमे मात्र 15 रुपए में 7 पूड़ी, आलू की सब्जी व अचार मिलता है। स्टेशन पर यह नियमित रूप से मिले इसके लिए वाणिज्य विभाग ने एक अधिकारी नगेंद्रङ्क्षसह परिहार की नियुक्ति की है। इसके बाद भी यह हालात है।
प्लेटफॉर्म चार पर प्रवेश करते ही गीता कैटर्स की स्टॉल है। जनता खाना मांगने पर कहा गया समाप्त हो गया है, शाम को मिलेगा। सवाल करने पर कि अभी खाने का समय है क्यों नहीं मिल रहा है तो जवाब दिया गया कि अभी कोई ट्रेन नहीं है, जब ट्रेन आए तब आना। प्लेटफॉर्म नंबर चार पर ही कंचन रेस्टोरेंट नाम की स्टॉल है। यहां पर भी जनता खाना नहीं था। जब मांगा गया तो बताया गया कि कुछ देर रुकें, आर्डर किया है, आ रहा है। हालांकि आधे घंटे बाद तक भी पैकेट नहीं आए। स्टॉल की ओर से सही जवाब भी नहीं मिला।
शिप्रा ब्रिज से लेकर उज्जैन स्टेशन तक कई व्यवस्थाओं को देखा और यात्रियों से भी चर्चा की है, आगे भी फीडबैक लिया जाएगा। जहां तक जनता खाना की बात है तो इस मामले में गभीर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए है।
– विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम