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रतलाम

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने लिखी गंदी बात, डीन बोले-यह अंदर की बात

मध्यप्रदेश के रतलाम का मेडिकल कॉलेज विवादों की जगह बनती जा रही है। यहां कुछ दिन पूर्व एक सर्जन डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली महिला कर्मचारी के खिलाफ गंदी – गंदी बात सोशल मीडिया पर लिखी, मामला कॉलेज की उत्पीडऩ समिति के पास गया, लेकिन डीन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

रतलामJun 03, 2022 / 10:42 am

Ashish Pathak

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने लिखी गंदी बात, डीन बोले-यह अंदर की बात

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने लिखी गंदी बात, डीन बोले-यह अंदर की बात

रतलाम. मध्यप्रदेश के रतलाम का मेडिकल कॉलेज विवादों की जगह बनती जा रही है। यहां कुछ दिन पूर्व एक सर्जन डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली महिला कर्मचारी के खिलाफ गंदी – गंदी बात सोशल मीडिया पर लिखी, मामला कॉलेज की उत्पीडऩ समिति के पास गया, लेकिन डीन ने कोई कार्रवाई नहीं की। रतलाम के मेडिकल कॉलेज के डीन के अनुसार यह पूरा मामला अंदर की बात है।
रतलाम का मेडिकल कॉलेज विवादों की जगह बनता जा रहा है। यहां पर अब एक सर्जन डॉक्टर ने महिला प्रदर्शक के खिलाफ लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट की, समझाने पर भी नहीं माने तो मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने डॉक्टर को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बड़ी बात यह है पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज में बनी महिला उत्पीडऩ समिति की प्रभारी स्वर्णकांता लिखार ने कड़ी कार्रवाई करने की रिपोर्ट दो सप्ताह पूर्व डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता को दी, लेकिन अज्ञात कारणों के चलते जिस डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की, उस पर कार्रवाई अब तक नहीं की गई है।
आए दिन मेडिकल कॉलेज के विवाद

आए दिन मेडिकल कॉलेज के विवाद सामने आ रहे है। यहां पर मार्च माह में मेस में विद्यार्थियों ने जो भोजन किया था, उसको खाने से कई विद्यार्थी बीमार हो गए थे। इसके बाद जांच की कमेटी बनी, लेकिन कमेटी ने सभी को क्लीन चीट दे दी थी। यह मामला जैसे तेसे आपसी रजामंदी से शांत हुआ ही था कि १९ मई को एंटी रैगिंग कमेटी को शिकायत मिली की सीनियर स्टूडेंट थप्पड़ मारते है। बार – बार इस प्रकार की घटना हो रही है। इसके बाद कमेटी ने उन विद्यार्थियों के माता – पिता को बुलाया व पूरा मामला बताकर पांच विद्यार्थियों को तीन माह के लिए बाहर का रास्ता बता दिया। अब एक बार फिर एक सर्जन ने सोशल मीडिया पर महिला प्रदर्शक के लिए लिखा वो सुर्खियों में आ गया है।
यह है पूरा मामला

शल्य चिकित्सा विभाग के डॉ. भावेश खंडेलवाल को मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने अपने संगठन से बाहर कर दिया है। इसकी सूचना शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं अधिष्ठाता को भी दे दी गई है। संगठन से बाहर का रास्ता दिखाने के पहले एसोसिएशन की बैठक हुई। इसमे एकमत से संगठन के सभी चिकित्सकों ने हस्ताक्षर किए। डॉ. भावेश पर आरोप है कि उन्होंने लगातार सोशल मीडिया पर प्रोग्रेसिव एसोसिएशन, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन रतलाम, रतलाम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखा। लगातार निजी टिप्पणी की, यहां तक की महिला प्रदर्शक के खिलाफ सोशल मीडिया ग्रुप में व्यक्तिगत टिप्पणी की। संगठन से बाहर करने के लिए जो बैठक मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम की हुई, उसमे यह बताया गया कि डॉ. भावेश को पूर्व में अपने व्यवहार में सुधार लाने के लिए कई बार कहा गया, लेकिन बदलाव नजर नहीं आया। इसके बाद ही मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन अपनी सामान्य सभा की बैठक में सर्वसम्मति से डॉ भावेश खंडेलवाल की संगठन से सदस्ता समाप्त कर दी।
दो बार पुलिस में गया मामला

दावा किया गया है कि दो बार डॉ. भावेश के खिलाफ महिला प्रदर्शक पुलिस के पास गई। पहले मामले में औद्योगिक पुलिस थाने में लिखित में शिकायत दी, लेकिन बाद में मेडिकल कॉलेज के बड़े पदाधिकारियों ने दोनों पक्ष को समझाकर मामला शांत करवा दिया। कुछ दिन शांति के बाद फिर जब डॉ. भावेश ने महिला प्रदर्शक के लिए अनर्गल टिप्पणी करना शुरू किया तो फिर मामला पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा। इसके बाद मेडिकल कॉलेज की चौकी को एसपी ने जांच कर कार्रवाई करने को कहा, लेकिन इस बार भी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टर बीच में आए व दोनों को समझा दिया गया। इसके बाद भी जब यह जारी रहा तो एसोसिएशन ने ग्रुप से बाहर कर दिया।
कमेटी की रिपोर्ट दबा गए

मेडिकल कॉलेज में बनी महिला उत्पीडऩ कमेटी के पास जब यह मामला गया तो उन्होंने पूरी जांच की। जांच में सभी पक्ष के बयान लिए गए। इसको प्रोसेडिंग में लिया गया। इसके बाद दो सप्ताह पूर्व पूरे मामले में अपनी रिपोर्ट कड़ी कार्रवाई करने की बात कहते हुए डीन को दी। हैरानी की बात यह है कि डीन दो सप्ताह से महिला उत्पीडन कमेटी की रिपोर्ट को दबाकर बैठे है।
इस मामले पर कुछ नहीं कहना

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने अपने संगठन से बाहर किया है, यह सही है, लेकिन इस पूरे मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना है।

– डॉ. भावेश खंडेलवाल, सहायक प्राध्यापक, शल्य चिकित्सा विभाग, शासकीय मेडिकल कॉलेज, रतलाम
कमेटी में गया था मामला

डॉ. भावेश ने जो किया, उसके बाद पूरा मामला कमेटी के पास गया था। कमेटी के एक्शन के पूर्व ही दोनों पक्ष में रजामंदी हो गई, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
– डॉ. जितेंद्र गुप्ता, डीन शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम

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