सुनील ने जब अपने बेट मयंक को टिकट खिड़की पर अपने पास नहीं पाया तो वो भी स्वीमिंग पूल की तरफ अंदर जा पहुंचा, जहां बहुत से बच्चे स्वीमिंग कर रहे थे। लेकिन, उसका बेटा कही नजर नहीं आया। काफी देर खुद ही खोजबीन करने के बाद उसने पूल कर्मचारियों से उसकी पूछताछ की। सुनील का आरोप है कि, पूल के कर्मचारियों ने समय रहते उसकी कोई मदद नहीं की। बेटे के संबंध में कोई कर्मचारी सुनील पर ध्यान देने को ही तैयार नहीं था। फिलहाल, मामले को लेकर दोबत्ती थाना पुलिस मर्ग कायम कर जांच शुरु कर दी है।पुलिस का कहना है कि, इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें- महिला कथावाचक ने साधु पर लगाए छेड़छाड़ के आरोप, बोली- ‘महंत नहीं कलंक है’, सुलह भी हुई
इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचाने की भी कोई व्यवस्था नहीं
कुछ देर बाद स्वीमिंग पूल में ही तेर रहे एक बच्चे ने आकर बताया कि, एक बच्चा स्वीमिंग पूल में पानी के अंदर पड़ है। तुरंत ही उस बच्चे को निकाला गया तो मालूम हुआ कि, वो मयंक ही था। सुनील तुरंत ही उसे गोद में लेकर पैदल तरण ताल से जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने मयंक को मृत घोषित कर दिया।
पूल कर्मचारी का अपना तर्क
इस संबंध में नगर निगम कर्मचारी योगेंद्र अधिकारी कंट्रोलर ने बताया कि, जिस समय ये बच्चा अंदर पहुंचा था, उस समय हमारे तीन लाइफगार्ड मयंक के पिता और 29 बच्चे तैर रहे थे, जिनमें से कुछ के परिजन भी मौजूद थे। बिना टिकिट के किसी को भी अंदर एंट्री नहीं दी जाती। वहां के लाइफगार्ड राजेश ने ही उसे निकाला प्राथमिक उपचार जो डूबने के दौरान दिया जाता है, उसे दिया भी गया। सुनील खुद बोल कर गए कि, मैं अपनी जवाबदारी पर बड़े टैंक में ले जा रहा हूं, इसपर ही हमने उन्हें जाने दिया।