मृतक पुलिस ऑफिसर की माँ और पत्नी का ने आरोप लगाया है कि कई घन्टे सरकारी एम्बुलेंस वाले ने सीएचसी और ज़िला अस्प्ताल में खाली मरहम पट्टी करने में लागए। अगर उन्हें ये मालूम था कि इनको गम्भीर चोटें आई हैं तो तत्काल उन्हें हायर ट्रीटमेंट के लिए क्यों नहीं ले जाया गया। अगर समय रहते उन्हें ट्रीटमेंट के लिए सीधे हायर संटर ले जाया जाता तो यकीनन उनकी जान बच सकती थी, क्योंकि एंबुलेंस में जो ड्राइवर था, उनको लगातार कहा जा रहा था कि ट्रीटमेंट के लिए हायर सेंटर ले चलो, लेकिन एंबुलेंस चालक ने उनकी एक नहीं सुनी और पहले वह सीएचसी ले गए। उसके बाद जिला अस्पताल ले जाया गया जहां पर केवल और केवल मरहम पट्टी में ही कई घंटे बिता दिए और उसके बाद उन्हें कहा कि इन्हें प्राइवेट में ले जाओ। प्राइवेट एंबुलेंस की मदद से मुरादाबाद ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। मुरादाबाद के डॉक्टरों ने पुलिस ऑफिसर को देखते ही कह दिया इनकी मौत हो चुकी है।यह सुनने के बाद परिवार में कोहराम मच गया। परिवार के लोग पुलिस के ऑफिसर और एंबुलेंस चालक पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
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पुलिस चौकी इंचार्ज सुधीर कुमार मूल रूप से मुरादाबाद के रहने वाले थे। 6 महीने पहले उनकी ज्वॉइनिंग हुई थी। उत्तर प्रदेश के जिला कन्नौज में कस्बा तालेग्राम पुलिस चौकी के इंचार्ज थे। बताया जाता है कि वे अपनी पत्नी से मिलने के लिए बाजपुर आए थे। उनकी पत्नी बाजपुर में ही जॉब करती हैं । उनसे मिलकर जब वापस कन्नौज जा रहे थे तो कोतवाली स्वार इलाके के मुंशीगंज गाँव के नजदीक उनकी कार एक पुलिया से टकरा गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने एम्बुलेंस को कॉल की एंबुलेंस आई और उन्हें सीधे सीएचसी ले गई। बाद में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया उस दौरान उनकी पत्नी भी वहां पर पहुंच गई। वह एंबुलेंस चालक से हाथ जोड़कर कहती रही कि इन्हें कहीं अच्छी जगह ले चलो, लेकिन एंबुलेंस चालक सीएससी और जिला अस्पताल के अलावा कहीं नहीं गया । बाद में प्राइवेट एम्बुलेंस की मदद से मुरादाबाद ले जाया गया, जहां पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि एक पुलिस ऑफिसर की तड़प-तड़प कर मौत हो गई और अभी तक स्थानीय पुलिस महकमा और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कोई जांच कमेटी तक नहीं बनाई है। अब सवाल ये पैदा होता है कि अगर हादसा हुआ तो हादसे के बाद जैसी गंभीर स्थिति उनकी थी उस गंभीर स्थिति में उन्हें सीएचसी और जिला अस्पताल क्यों ले जाया गया। वह एक पुलिस ऑफिसर थे और घटना पर पुलिस भी वहां पर पहुंची होगी ,। आकिर से में कैसे उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में ले जाया जाता रहा। उसके बाद जो स्वास्थ्य महकमे ने किया उनके साथ और भी शर्मनाक है, क्योंकि उनकी स्थिति बेहद नाजुक थी। उसके बावजूद भी उन्हें जिला अस्पताल में डॉक्टर समय बर्बाद करते रहे। अगर सही समय पर उन्हें ट्रीटमेंट के लिए हायर सेंटर भेज दिया जाता तो शायद वह पुलिस ऑफिसर आज इस दुनिया से अलविदा नहीं होता।
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सड़क दुर्घटना के बाद जैसे ही जानकारी मिली, एंबुलेंस उन्हें लेकर सीएससी ले गई। बाद में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद क्या हुआ है उन सब चीजों की जांच कराई जा रही है, जो चीजें सामने आएंगी उसके आधारा पर याफिर मृतक के परिजन अगर कोई तहरीर देते हैं तो उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उनकी कार एक पुलिया से टकरा गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी कार को थाने में खड़ा करा दिया है और मामले की जांच की जा रही है।
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जिला अस्पताल के सीएमओ सुबोध कुमार ने बताया कि हमारी स्वास्थ्य विभाग की जो एंबुलेंस हैं, चाहे 102 हो या 108 उन्हें केवल और केवल सीएचसी और जिला अस्पताल या फिर उनके रैफर करने पर मुरादाबाद या मेरठ ले जाया जाता है, लेकिन यहां पर अगर प्राइवेट एंबुलेंस से उन्हें हायर ट्रीटमेंट के लिए ले जाया गया है तो इसकी मैं जांच करवाता हूं और जांच के बाद बड़े स्तर पर कार्रवाई करूंगा, क्योंकि किसी के लिए भी स्वास्थ्य महकमे में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी ।