रामपुर। उत्तर प्रदेश के रामपुर का नाम आते ही समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान और डीएम आंजनेय कुमार सिंह की तस्वीर सामने आती है। डीएम आंजनेय कुमार सिंह आजम खान के सामने पूरी निडरता से खड़े रहे। इनके अलावा रामपुर की चाकू और यहां के नवाब भी काफी मशहूर रहे हैं। हालांकि, अब दोनों ही इतिहास हो चुके हैं लेकिन अब भी उनके किस्से सुनाई देते हैं। हाल ही में रामपुर के आखिरी नवाब की संपत्ति का आंकलन भी शुरू हुआ था।
1774 में बसी थी रियासत फैजुल्ला अली खान ने सन् 1774 में रामपुर रियासत को बसाया था। अपने, जनता और फौज के लिए उन्होंने कई आलीशान भवन बनवाए थे। इनमें किला, कोठी बेनजीर, कोठी खासबाग, लक्खी बाग व खुसरो बाग भी शामिल हैं। अंग्रेजी हुकूमत के प्रतिनिधि के लिए बनवाए गए भवन को आज नूरमहल के नाम से जाना जाता है, जिसमें बेगम नूरबानो और नवाब काजिम अली उर्फ नावेद मियां रहते हैं। आजादी से पहले करीब पौने 200 साल तक रामपुर में नवाबों का राज चलता था। इस दौरान कई बार उनको लड़ाइयां भी लड़नी पड़ीं। रियासत में इनकी ही अदालतें होती थीं। हाल ही में रामपुर के आखिरी नवाब के निजी शस्त्रगाह की एक अलमारी खोली गई थी, जिसमें हजारों हथियार मिले थे।
मुख्यमंत्री के लिए भी बना था भवन रामपुर के नवाबों ने रियासत के मुख्यमंत्री के लिए भी भव्य भवन बनवाया था। आज के समय इसमें रामपुर के डीएम रहते हैं। रामपुर का इमिहास लिखने वाले इतिहासकार शौकत अली खान का कहना है कि 70—80 बीधे में बनी इस कोठी को आंवले वाली कोठी भी कहा जाता था। इसकी वजह यह थी कि यहां आवंले के काफी पेड़ हुआ करते थे। नवाब रजा अली खान रामपुर के आखिर नवाब थे। उनके समय में रामपुर में तीन मुख्यमंत्री रहे थे। 20 जून 1930 को सर अब्दुस्समद को पहला सीएम बनाया गया था। वह नवाब रजा अली खान के ससुर थे। अब्दुस्समद की बेटी रफत जमानी बेगम का निकाह नवाब रजा अली खां से हुआ था। अब्दुस्समद खान ने 4 दिसंबर 1934 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
यह थे आखिरी मुख्यमंत्री उनके बाद खान बहादुर मसूदुल हसन को यह जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने 1 दिसंबर 1936 तक यह कार्यभार संभाला। मसूदुल हसन अमरोहा के बछरायूं के जमीदार मौलवी अहमद हसन के बेटे थे। उन्होंने इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई की थी। 1 दिसंबर 1936 को वह रिटायर हो गए थे। तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में कर्नल बशीर हुसैन जैदी को दायित्व सौंपा गया था। नवाब ने उनको कर्नल की उपाधि दी थी। बशीर हुसैन जैदी के पिता दिल्ली में दारोगा थे। शौकत अली खान का कहना है कि बशीर हुसैन जैदी रामपुर रियासत के आखिरी मुख्यमंत्री थे। वह 1 दिसंबर 1936 को मुख्यमंत्री बने थे। उनके वक्त में रामपुर का काफ विकास हुआ था। उनके सरदार वल्लभभाई पटेल से अच्छे संबंध थे, जिस कारण रामपुर रियासत का केंद्र में विलय मुंहमांगी शर्तों पर हुआ था।
लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर है यह आवास लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर बने इस मुख्यमंत्री आवास में आज के समय में डीएम आंजनेय कुमा्रर सिंह रहते हैं। उनका कहना है कि इसकी बनावट काफी खास है। इसका निर्माण यूरोपीय स्टाइल में हुआ है। कोठी के अंदर नक्काशी भी की गई है। इस आलीशान भव्य इमारत में डायनिंग हाल और ड्राइंग रूम के साथ ही पांच अन्य बड़े कमरे हैं। इसकी दीवारें मोटी हैं। बारादरी में तीन ओर से हवा आने और दीवारें उंची होने के कारण गर्मी में राहत रहती है। इसमें आम, लीची, अमरूद, आंवले और शहतूत के पेड़ लगे हैं।