जौहर यूनिवर्सिटी ने सपा शासनकाल में करीब 75.563 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। इसमें से कुछ जमीन शासन से अनुमति लेकर खरीदा गई थी। करीब 70 हेक्टेयर जमीन के लिए स्टांप नहीं दिया गया था। उस समय सरकार ने स्टांप राशि काे माफ कर दिया था। केबिनेट ने इस शर्त पर जमीन देने के प्रस्ताव पर सहमति दी थी कि खरीदी गई जमीन से जनहित के काम हाेंगे और अल्पसंख्यक व गरीब बच्चों काे निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। शासन ने कुछ अन्य शर्तों के साथ जमीन खरीदने की अनुमति दे दी थी लेकिन अब एडीएम की काेर्ट ने पाया है कि अनुमति के नियमों का पालन नही किया गया। एडीएम कोर्ट ने नियमों का पालन नहीं करने का दोषी मानते हुए अब यह एतिहासिक फैसला सुनाया है।
सांसद आज़म खान के जाैहर ट्रस्ट ने सपा सरकार रहते सैकड़ों बीघा जमीन किसानों की भी खरीदी थी। किसानाें की खरीदी गई जमीन काे लेकर सरकार से एक आदेश भी हुआ था। सरकार के आदेश में जमीनें नाम कराने और ट्रष्ट में जनहित काम करने के अलावा कई अन्य शर्तें भी लगाई गई थी। जब ये शिकायत की गई ताे पता चला कि न तो निर्माण कार्य समय पर पूरा किया गया और अन्य नियमाें की भी अनदेखी की गई। इन्ही आराेपाें की जांच के बाद ये केस दर्ज हुआ। सुनवाई कई माह से लगातार चल रही थी। अब शनिवार काे एडीएम काेर्ट से यह फैंसला आया है।
अब एडीएम प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता की अदालत ने यह फैसला सुनाया है कि जाैहर विवि की 70 हेक्टेयर जमीन काे कब्जे में लेकर इंद्राज कराया जाए क्याेंकि इस जमीन काे लेकर नियमाें का पालन नहीं किया गया।