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राजस्थान के इस जिले के अंतिम स्वतंत्रता सैनानी का निधन, देश के लिए कई बार गए जेल…पढ़े पूरी खबर

स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मेवाड़ प्रजामंडल के योद्धा व राजसमंद जिले के अंतिम स्वतंत्रता सैनानी मदनमोहन सोमटिया का रविवार सुबह निधन हो गया। उनका दोपहर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

राजसमंदNov 11, 2024 / 11:31 am

himanshu dhawal

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से सम्मान लेते स्तवंत्रता सैनानी सोमटिया (फाइल फोटो)

नाथद्वारा. देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मेवाड़ प्रजामंडल के योद्धा व राजसमंद जिले के अंतिम स्वतंत्रता सैनानी मदनमोहन सोमटिया का रविवार सुबह निधन हो गया। सुबह करीब सवा 7 बजे 102 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। इस दौरान उनके पुत्र व पूरा परिवार उनके रहा। वे अपने पीछे एक पुत्र और पांच पुत्रियों का भरापूरा परिवार छोड़ कर गए हैं। सोमटिया लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 8 भाई बहिनों के परिवार में सोमटिया के दो भाई भी स्वतंत्रता सैनानी रहे। 14 सितंबर 1922 को माता नानकी बाई एवं पिता रामकृष्ण जाट के यहां जन्मे सोमटिया कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। जिन्हे शहर के गोवर्धन राजकीय जिला चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

मिल चुके कई विशिष्ट पुरस्कार

सोमटिया को कई विशिष्ट पुरस्कार भी मिले हैं। उन्हे 9 अगस्त 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के द्वारा सम्मान प्रदान किया गया। एक 2 अक्टूबर 1987 एवं 14 नवंबर 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा दो बार ताम्र पत्र प्रदान किए गए। 14 मई 2009 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत तथा गत वर्ष 3 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमटिया के आवास पर जाकर उन्हें विशिष्ट नागरिक सम्मान प्रदान किया था। उन्हे प्रदेश व जिले में विभिन्न संगठनों की ओर से भी सम्मान से नवाजा जा चुका है। इनके बडे भाई नरेन्द्र पाल सिंह चौधरी एवं राजेन्द्र सिंह चौधरी भी स्वतंत्रता सैनानी रहे हैं।

विद्यालय के लिए दी 43 हजार फीट जमीन

सोमटिया के बडे भाई स्वतंत्रता सैनानी नरेन्द्र पाल सिंह के द्वारा मॉर्डन विद्यालय में िस्थत जमीन में से 43 हजार फीट जमीन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए प्रदान की थी। जहां पर मंदिर मंडल के द्वारा विद्यालय का निर्माण कराया गया।

शिक्षक रहते आंदोलन में कूदे

सोमटिया शिक्षा के क्षेत्र में राजकीय सेवा में प्राध्यापक रहे। ये राजनीति विज्ञान एवं बीएड साहित्य रत्न की उपाधि प्राप्त थे। स्वाधीनता आंदोलन में सोमटिया ने प्रजा मंडल आंदोलन के दौरान ही अपनी भागीदारी प्रारंभ कर दी। इसके चलते 20 वर्ष की उम्र में वर्ष 1942 में 25 अगस्त को इनको भारत छोड़ो आंदोलन में भारत सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार कर उदयपुर की सेंट्रल जेल में नजरबंद रखा गया। वहीं मेवाड़ प्रजा मंडल आंदोलन में अग्रणी रहे नाथद्वारा से स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के साथ इनका भी विशेष सहयोग रहा। वे अपने पीछे एक पुत्र एवं 5 पुत्रियों सहित भरापूरा परिवार छोडकर गए हैं।

सोमटिया की देह पंचतत्व में विलीन

स्वतंत्रता सेनानी चौधरी मदन मोहन सोमटिया की देह रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गई। शहर के रावतों का दरवाजा स्थित उनके निवास से दोपहर 2 बजे अंतिम यात्रा प्रारंभ हुई। जो शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए बनारस किनारे स्थित श्मशान घाट पहुंची। यहां राजसमंद पुलिस के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। उसके बाद उनकी पार्थिव देह से तिरंगा उतारा गया। इसके बाद इकलौते पुत्र योगेश चौधरी ने उनको मुखाग्नि दी। इस दौरान देवकीनंदन गुर्जर, भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रदीप काबरा, कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश जोशी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किया। वहीं जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा, जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी आदि ने प्रशासन की ओर से भी पुष्प चक्र अर्पित किया।

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