नाथद्वारा में अधिकांश जमीन वन विभाग की है। जानकारों की मानें तो स्थिति यह है कि यहां पर अधिकांश वन विभाग की जमीनों पर कब्जे हो गए और पक्का निर्माण आदि तक हो गए हैं। ऐसे में शेष वन विभाग की जमीन को बचाने के लिए ग्रीन लंग्स परियोजना कारगर सिद्ध होगी। इससे अतिक्रमण पर रोक लगेगी।
मियावाकी पद्धति विधि से दिखेगा घना जंगल
नाथद्वारा की वन भूमि पर मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा। यह एक जापानी वनीकरण विधि है। इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है। पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं। पद्धति के अनुसार पौधों के तीन प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है। जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है। जैसे कि एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा, तो दूसरा पेड़ नीम, शीशम आदि का होगा। वहीं तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है। इसमें खास बात यह रहती है कि एक पेड़ ऊंचाई वाला तथा दूसरा कम ऊंचाई वाला तथा तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है। इन तीनों पौधों को थोड़े-थोड़े दिन के अंतराल पर लगाया जाता है। इससे यह देखने में घना जंगल जैसा दिखाई देता है।
वन भूमियों को किया जाएगा विकसित
नाथद्वारा में ग्रीन लंग्स परियोजना के तहत वन विभाग की जमीनों को विकसित किया जाएगा। इसमें पार्क आदि का निर्माण होगा। इसके प्रथम चरण में 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए जल्द ही टेण्डर प्रकिया प्रारंभ की जाएगी।
– डॉ. आलोक गुप्ता, उप वन संरक्षक वन विभाग राजसमंद