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Green Lungs : अब यह शहर होगा जापानी टेक्नोलॉजी मियावाकी से हरा-भरा

– नाथद्वारा में राज्य सरकार की ग्रीन लंग्स परियोजना के तहत खर्च होंगे 5 करोड़, वन क्षेत्रों की चारदीवारी, वॉकिंग ट्रेक, सेल्फी पाइंट आदि के होंगे कार्य

राजसमंदSep 23, 2023 / 10:40 am

himanshu dhawal

Green Lungs : अब यह शहर होगा जापानी टेक्नोलॉजी मियावाकी से हरा-भरा

राजसमंद. मियावाकी पद्धति से इस तरह किया जाएगा हरा-भरा (फाइल फोटो)

राजसमंद. नाथद्वारा में वन विभाग की जमीनों को हरा-भरा कर उसे विकसित किया जाएगा। चारदीवारी, ट्रेक निर्माण, आकर्षक गेट सहित कई विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन्हें हरा-भरा बनाने के लिए जापान की मियावाकी पद्धति का उपयोग किया जाएगा। इसका काम जल्द ही शुरू होगा।
राज्य सरकार की ओर से बजट में ग्रीन लंग्स परियोजना 2023 की घोषणा की थी। सरकार ने वन क्षेत्रों के विकास के लिए 13 शहरों में ग्रीन लंग्स (वन क्षेत्र) परियोजना के विकास के लिए 19 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उक्त परियोजना में नाथद्वारा को शामिल किया गया था। इसके लिए 5 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इससे नाथद्वारा स्थित गणेश टेकरी, बांदरिया मगरा और नाथूवास सहित आस-पास के क्षेत्रों में वन विभाग की भूमि को विकसित किया जाएगा। इसके तहत प्रथम चरण में चारदीवारी करवाने, आकर्षक गेट बनाने, उद्यान विकसित करने, सेल्फी पाइंट बनाने, वॉकिंग ट्रेक बनवाने, शौचालय आदि की सुविधाओं का निर्माण करवाया जाएगा। इससे यहां पर आने वाले पर्यटकों को सुविधा मिलेगी और वन विभाग की जमीन पर होने वाले अतिक्रमण पर भी रोक लगेगी। इसके लिए अब जल्द ही टेण्डर प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। उल्लेखनीय है कि नाथद्वारा में पक्षी घर और लवकुछ वाटिका का निर्माण जल्द शुरू होगा। यह भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करेंगे।
वन विभाग की जमीन पर कब्जों की भरमार
नाथद्वारा में अधिकांश जमीन वन विभाग की है। जानकारों की मानें तो स्थिति यह है कि यहां पर अधिकांश वन विभाग की जमीनों पर कब्जे हो गए और पक्का निर्माण आदि तक हो गए हैं। ऐसे में शेष वन विभाग की जमीन को बचाने के लिए ग्रीन लंग्स परियोजना कारगर सिद्ध होगी। इससे अतिक्रमण पर रोक लगेगी।
मियावाकी पद्धति विधि से दिखेगा घना जंगल
नाथद्वारा की वन भूमि पर मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा। यह एक जापानी वनीकरण विधि है। इसमें पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है। पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं। पद्धति के अनुसार पौधों के तीन प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है। जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग होती है। जैसे कि एक पेड़ खजूर का लगाया जाएगा, तो दूसरा पेड़ नीम, शीशम आदि का होगा। वहीं तीसरा पौधा किसी भी तरह की फुलवारी का हो सकता है। इसमें खास बात यह रहती है कि एक पेड़ ऊंचाई वाला तथा दूसरा कम ऊंचाई वाला तथा तीसरा घनी छायादार पौधा चुना जाता है। इन तीनों पौधों को थोड़े-थोड़े दिन के अंतराल पर लगाया जाता है। इससे यह देखने में घना जंगल जैसा दिखाई देता है।
वन भूमियों को किया जाएगा विकसित
नाथद्वारा में ग्रीन लंग्स परियोजना के तहत वन विभाग की जमीनों को विकसित किया जाएगा। इसमें पार्क आदि का निर्माण होगा। इसके प्रथम चरण में 5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए जल्द ही टेण्डर प्रकिया प्रारंभ की जाएगी।
– डॉ. आलोक गुप्ता, उप वन संरक्षक वन विभाग राजसमंद

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