इस तरह होते टेण्डर
जिले में मत्स्य पालन विभाग की ओर से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए जलाशयों में मछली पालन के लिए ठेका दिया जाता है। इसके तहत आय के हिसाब से चार क्लास निर्धारित की गई है। ए क्लास के ठेके विभाग की ओर से किए जाते हैं। इसके बाद बी क्लास के जिला परिषद और सी क्लास के पंचायतों के माध्यम से ठेके किए जाते हैं।जलाशयों से प्रतिवर्ष यूं बढ़ी आय
: 54 लाख 2021-2022 में: 64.66 लाख 2022-2023 में
: 88.62 लाख 2023-2024 में
: 1.24 करोड़ 2024-25 में
यूं बढ़ रहा उत्पादन
: 1500 टन 2021-22 में: 2000 टन 2022-23 में
: 2500 टन 2023-24 में
: 3200 टन 2024-25 में लक्ष्य
जिले के तालाब
विभागीय जानकारों के अनुसार सापेरी बांध का 19.84 लाख, मानसरोवर का 6.18 लाख, देवगढ़ का 19.84 लाख, चिकलवास का 7 लाख, नंदसमंद का 18.87 लाख और बाघेरी का नाका 7.6 लाख में ठेका हुआ है। हालांकि कई जलाशयों के ठेकों का नवीनीकरण किया गया है। यह सभी ए क्लास के जलाशय है। इसी प्रकार बी क्लास में 10 जलाशय आते हैं। इनका करीब 28 लाख का ठेका हुआ है। सी क्लास के ठेके पंचायत समिति के माध्यम से होते हैं। इनके तहत 25 जलाशयों है। ऐसे में विभाग को 1.24 करोड़ से अधिक की आय हुई है।बनास नदी का भी हुआ ठेका
बनास नदी का उद्गम स्थल राजसमंद माना जाता है। यह चितौड़ और भीलवाड़ा से होकर गुजरती है। ऐसे में इस बार लम्बे समय बाद इनमें भी मत्स्य पालन का ठेका हुआ है। इससे विभाग को 24.52 लाख रुपए की आय अतिरिक्त हुई है।आय और उत्पादन में हो रहा इजाफा
जिले में मत्स्य उत्पादन और विभाग की आय दोनों में लगातार इजाफा हो रहा है। इस बार 1.24 करोड से अधिक के ठेके हुए हैं। मत्स्य उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। बिपरजॉय तूफान के बाद से जलाशय में अच्छी पानी की आवक बनी हुई है।- सज्जन सिंह देवड़ा, सहायक मत्स्य विकास अधिकारी राजसमंद