दरअसल, गांव की नीतू पति सुरेश को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अस्पताल ले जाना चाह रहे थे। बारिश के कारण रास्ते पर पडऩे वाला नाला बाधा बना। इसके बाद चार लोगों ने खटिया पर लेटाकर महिला को निकाला। उफनते नाले को देखते हुए चिकित्सा की सुविधा न मिलने की सूचना ग्रामीणों ने कलेक्टर हर्ष दीक्षित को दी। कलेक्टर के निर्देशों पर सीएमएचओ डॉ. दीपक पिप्पल टीम के साथ गांव के इस पार नाले पर पहुंचे। प्रसव पीड़ा से परेशान प्रसूता को संभालने टीम मौके पर ही मिल गई। अस्पताल पहुंचाने पर उसने एक बच्चे को जन्म दिया, दोनों अब स्वस्थ्य हैं।
रेस्क्यू की जगह ली रिस्क: प्रशासनिक नाकामियों के बीच बाधा बनने वाली बाढ़, बारिश के कारण इस तरह के केस आम हैं। लेकिन यहां प्रशासन को सबकुछ अवगत कराने के बावजूद ग्रामीणों को ही रिस्क लेना पड़ी। यानी रेस्क्यू करवा लेने के बजाए रिस्क लेकर प्रसूता को निकालना पड़ा। आम तौर पर रेक्यू टीम अलर्ट रहती है लेकिन यहां सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही आगे दिखा। प्रसव पीड़ा होने के बाद गांव की आशा ने 108 पर कॉल किया लेकिन बाढ़ और बारिश के कारण कोई जा नहीं पाया। कलेक्टर को ग्रामीणों ने कॉल किया, उन्होंने सीएमएचओ को कॉल किया और उपचार कराया लेकिन रेस्क्यू टीम नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने ही रिस्क लेकर प्रसूता को निकला। ऐसे में यह रिस्की भी हो सकता था।
जैसे ही हमें सूचना मिली हम पूरी तैयारी के साथ वहां पहुंचे थे। दूसरे छोर पर लाते ही प्रसूता को अस्पताल पहुंचाया गया और डिलिवरी करवाई। इसके बाद महिला ने एक स्वस्थ्य नवजात बच्ची को जन्म दिया है। सभी के सहयोग से यह संभव हो पाया।
-डॉ. दीपक पिप्पल, सीएमएचओ, राजगढ़