राजगढ़. करीब तीन हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना में अभी भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे।
पहले किसान मुआवजे की राशि के लिए परेशान थे और अब उनके खातों में मुआवजा तो आया, लेकिन वे उनका उपयोग नहीं कर पा रहे है। क्योंकि प्रशासन द्वारा कई किसानों के खातों में से पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। ऐसे एक या दो नहीं बल्कि दर्जनों किसान है जिनके खातों में पैसा तो आ गया है, लेकिन उसका उपयोग नहीं कर पा रहे है।
मोहनपुरा डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों को शासन के नियमों के अनुसार मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन कई किसानों को उनकी भूमि से अधिक भुगतान कर दिया गया और कुछ को कम भुगतान हुआ है। ऐसे में शासन ने जिन किसानों की भूमि में अंतर आ रहा था। उनके खातों पर रोक लगा दी है, लेकिन किसानों का कहना है कि मूल्यांकन भी प्रशासन द्वारा किया गया। वह गलत है या सही। उसका निराकरण नहीं किया जा रहा। छह माह से पैसा खातों में पड़ा है, लेकिन निकाल नहीं पा रहे है। जबकि डूब क्षेत्र में जमीन आने के बाद हम उसका उपयोग भी नहीं कर पा रहे है। ऐसे में खाने के भी लाले पड़ रहे है। जिन किसानों की जमीनें डूब में आ रही थी। उन्हें रहने के लिए नए आशियाने की तलाश थी।
ऐसे में खेती और रहने के लिए कुछ किसानों ने मुआवजा आने के बाद अनुबंध किए, लेकिन खाते सील होने के कारण पूर्व में दिया हुआ पैसा भी स्टाम्प पर की गई लिखा पढ़ी के हिसाब से तय की गई तारीख पर यदि पूरा पैसा नहीं दिया जाता तो मामला उलझ जाएगा। किसान जगदीश रूहेला निवासी माधोपुरा ने बताया कि उन्होंने विजयसिंह से जमीन खरीदने को लेकर दस लाख रुपए देकर एक अनुबंध कराया था। जिसके बदले पूरी राशि दो नवंबर को देनी थी। अब तारीख निकल गई है। जबकि एक अन्य किसान की पांच दिन बाद तारीख खत्म हो रही है। इस तरह कई किसान अनुबंध कराकर परेशान हो रहे है।
एसडीएम से मिलने पहुंचे किसान
पूर्व विधायक हेमराज कल्पोनी के साथ कई किसान अपने खाते में जमा राशि को निकालने के लिए जनसुनवाई में ज्ञापन देने पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि यदि कुछ गलत है तो अभी तक छह माह हो चुके है। दो बार सर्वे हो चुका है। इसके बाद भी हमारा पैसा क्यों बंधक बना रखा है।
विभाग ने किया धोखा
डूब क्षेत्र में आने वाले कई किसान अपनी भूमि के सर्वे को लेकर शिकायत करते रहते है। मुआवजा शीघ्र देने को लेकर जल संसाधन विभाग ने कई किसानों की जमीनें अनुबंध करते हुए अपने खाते में चढ़वा ली। जिसमें झुमका गांव के बापूलाल पिता नानजी, पानीबाई बेवा के नाम पर जो जमीन थी उसके बदले में 25 प्रतिशत ही मुआवजा दिया और उस जमीन को लेकर एक पत्र भी जारी किया। जिसमें भू-स्वामी को कम जमीन डूब में आने का हवाला देते हुए कम मुआवजा ही दिया गया, लेकिन जब भू-स्वामी ने बची हुई जमीन की नकल निकलवाई तो उसके खाते की पूरी जमीन जल संसाधन विभाग ने अपने नाम करा ली। ऐसे में बचा हुआ मुआवजा विभाग ने किसके खाते में डाला यह जांच का विषय है।
जिन किसानों के खातों पर रोक लगा रखी थी। एक सप्ताह के अंदर उसका निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं जिन किसानों को कम मुआवजा मिला है और भूमि ज्यादा है उन्हें पूरा मुआवजा मिलेगा। दोनों ही मामलों की जांच कराते है।
कमलेश भार्गव, एसडीएम राजगढ़
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