उधर, केरल में एक जून को मानसून की आमद और इसके बाद अरब सागर से उठे निसर्ग तूफान को लेकर प्रशासन ने करीब एक हफ्ते पूर्व ही राजगढ़ सहित पूरे पश्चिमी मध्यप्रदेश में भारी बारिश की आशंका जता दी थी।
हालांकि, इस अलर्ट के बाद भी साहबानों पर जुंबिश तक नहीं हुई। आलम यह कि केन्द्रो पर रखे गेहूं का समय से परिवहन कर हटाना तो दूर उन्हें बारिश से बचाने से बचाने के लिए खुले में रखने की बजाय ढंककर रखने की व्यवस्था तक किसी ने करने की जहमत नहीं उठाई।
गुरुवार की बारिश ने अनाज को भीगा दिया, अब सड़ने का डर निसर्ग तूफान (Nisarga Cyclone) के प्रभाव की वजह से गुरुवार को खूब बारिश हुई। इसका नतीजा यह कि राजगढ़ जिले के अधिकतर केंद्रों पर खरीदी किए गए अनाज भीग गए। जिले के राजगढ़, नरसिंहगढ़, सारंगपुर, कुरावर, बोड़ा, तलेन, पटाडिया धाकड़, बखेड़, क्षेत्र अधिकतर केंद्रों पर रखरखाव के अभाव में गेंहू, चना आदि भीग रहे।
हालांकि, अनाज भीगने के बाद प्रशासन जागा जरुर है और नागरिक आपूर्ति निगम ने नुकसान के आंकलन के लिए एक टीम का गठन कर दिया। देर शाम तक सर्वे का काम भी किया जा रहा था।