Read this also: गोरखपुर जा रही थी महिला, रास्ते में प्रसवपीड़ा हुई तेज, फिर बाइक बन गर्इ एंबुलेंस दरअसल, आजीविका की तलाश में शहर गए मजदूरों के लिए अब अपने गांव लौटना मजबूरी है। भूख के भय ने उनको किसी भी सूरत में वापस लौटने को मजबूर कर दिया है। कोई अपने बुजुर्ग मां-बाप को लेकर चल पड़ा तो कोई छोटे बच्चों को लेकर अपने गांव पहुंच रहा। यहां तक कि गर्भवती महिलाएं मजबूर होकर जिंदगी दांव पर लगाते हुए लौट रही हैं/लौटी हैं। बीते 16 मई को महाराष्ट्र से यूपी के गोरखपुर के लिए निकले मजदूरों के एक जत्था में गोरखपुर की रहने वाली सुनीता पत्नी किशन यादव भी थे। सुनीता गर्भवती थी लेकिन पैदल ही घर के लिए निकली थी। इंदौर-भोपाल बाइपास पर पटवारी संघ द्वारा इन मजदूरों को दोपहर में खाना खिलाया जा रहा था। खाना खिलाए जाने के दौरान ही सुनीता की हालत बिगड़ने लगी। वह प्रसव पीड़ा से कराह उठी। सुनीता की बिगड़ती हालत देख पटवारी जीतू झंझोरिया ने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और अस्पताल पहुंचाया। यहां डाॅक्टर्स की देखरेख में महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था।
Read this also: दूल्हे ने पहना भाई का सूट तो माला व साफा मित्र का, दुल्हन जेठानी के गहने पहन पहुंची अस्पताल में भर्ती गोरखपुर के शिवजीनगर के मानखुर्द की रहने वाली सुनीता पत्नी किशन को मंगलवार को डिस्चार्ज किया गया। दंपत्ति अपने नवजात के साथ प्रशासनिक मदद से गोरखपुर के लिए रवाना हुए।
घर जाते-जाते सुनीता ने सभी का आभार जताया और कहा कि बेटे का नाम मदद करने वाले पटवारी जीतू झंझोरिया के नाम पर रखूंगी। यही नहीं उसने अपने बच्चे को पढ़ा-लिखाकर पटवारी बनाने की इच्छा भी जाहिर की।
मंगलवार को एसडीम सन्दीप अस्थाना और तहसीलदार ए. आर. चिरामन की देखरेख में इनको रवाना किया गया। इस दौरान पटवारी संघ अध्यक्ष राधेश्याम अहिरवार, मनीष तिवारी, संदीप सक्सेना, कुलदीप यादव, ओम बैरागी आदि मौजूद रहे।