दरअसल मंगलवार को जनसुनवाई में आए एक मामले ने न केवल जनसुनवाई में आए लोगों को चौंका दिया, बल्कि इस दौरान यहां मौजूद अधिकारी भी मामले को सुनने के बाद एक दूसरे का चेहरा हैरानी भरी नजरों से देखते रह गए।
जानकारी के अनुसार जनसुनवाई के दौरान यहां एक वृद्ध अजीब आवेदन लेकर पहुंचा। इस आवेदन में उसने लिखा था कि हम गरीब हैं, लेकिन शासन की किसी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा। क्योंकि पंचायत के रेकॉर्ड में हम मर चुके हैं।
ऐसे में शासन की योजना का लाभ मिले या न मिले। वह बाद की बात है, लेकिन हमें जिंदा तो कर दीजिए। ताकि हम अपना आवेदन कहीं लेकर जाए तो अपनी पहचान बता सकें।
मामला पचोर तहसील के ग्राम कडिय़ा चौरसिया के रहने वाले मांगीलाल जाटव का है। जहां उनकी पत्नी भंवरीबाई जाटव और उन्हें मृतक बता रखा है। दोनों ही गरीब हैं, लेकिन जनपद के रेकॉर्ड में मृतक होने से न तो उन्हें खाद्यान्न मिल रहा और ना ही शासन की अन्य योजनाओं का लाभ।
उन्होंने कहा कि न जमीन है न घर है। फिर भी किसी योजना का लाभ नहीं मिलता। यदि हमें जिंदा कर दिया जाएगा तो कभी कुछ आवेदन कर सकेंगे।
बातचीत के दौरान पीड़ित का कहना है कि अभी हम जिंदा हैं, लेकिन सरकारी कागजों में हमें मार दिया गया है। जिसके चलते हम अपनी पहचान तक किसी कार्यालय में नहीं दे सकते हैं। और यदि देते भी है तो कोई मानने को तैयार नहीं है। जबकि अभी हम दोनों जिंदा हैं और आपके सामने खड़े हैं।वहीं दूसरी ओर एक अन्य मामले में भ्याना में दो माह से लगातार हो रही बारिश से नाले के पास की बसाहट के साथ ही गांव में निचली बस्तियों में बने कच्चे मकानों की कई दीवारें गिर गईं। दर्जनों मकानों में पीडि़त परिवारों के लोग महीने भर से पटवारी के सर्वे का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आज तक सर्वे करने यहां कोई नहीं पहुंचा।
– निमिषा पांडे, तहसीलदार सारंगपुर