गोपाल कृष्ण मिश्रा ने पत्रिका की टीम से मदद मांगी, जिसके बाद पत्रिका टीम कैमरे के साथ कियोस्क सेंटर पहुंची। यहां एक साथ कई कैमरों की मदद से कियोस्क सेंटर संचालक से हूई बातचीत रिकॉर्ड की गई है। बातचीत के दौरान कियोस्क संचालक बोला- हमें तो सिर्फ हजार-दो हजार बचते हैं, बाकि तो ग्वालियर भेजना पड़ते हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि, ग्वालियर में ऐसा कौन जिम्मेदार है कियोस्क संचालक जिसे कट का बड़ा हिस्सा पहुचाते हैं।’
– रिपोर्टर- भैया, अंकल का भुगतान कराना है। तीन बार आबेदन रिजेक्ट हो गया। आपका ही पता बताया गया।
– कियोस्क संचाल्क- कितने ही आवेदन कर दो। हर बार रिजेक्ट होगा। पैसा तो देना ही पड़ेगा।
– रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा ?
– कियोस्क संचालक – पैसा कितना निकलना है। उस हिसाब से कमीशन तय होगा।
– रिपोर्टर- लगभग 32 लाख रुपए का भुगतान है ?
– कियोस्क संचालक- 45 से 50 हजार रुपए लगेंगे। यदि तैयार हो तो मैं आगे बात करू।
– रिपोर्टर- थोड़ा कम कर लीजिए। यह तो ब्यावरा के ही रहने वाले है ?
– कियोस्क संचालक- हमें तो मुश्किल से हजार दो हजार रुपए बचते है। बाकी सभी ग्वालियर भविष्य निधि कार्यालय में भेजने पड़ते है।
-रिपोर्टर- भेया, अधिकारी से हमारे बात करा दो। उनसे रिक्बेस्ट कर लेंगे ?
– कियोस्क संचालक- (हंसते हुए)- वो सिर्फ हमसे ही बात करते है। वह भी रात में ।
– रिपोर्टर- और कहीं से आवेदन हो सकता है। पैसा कम लगे जहां ?
– कियोस्क संचालक- कितने ही घूम लो। दूसरे जगह से आवेदन करते रहो। कुछ भी गलती बताकर रिजेक्ट हो जाएगा। यह देख लो वर्ष 2021-22 के मामले अभी आए है। क्योंकि इन्होंने पहले कुछ से संपर्क नहीं किया था। अब 15 दिन में भुगतान करा दूंगा।
– रिपोर्टर- इन्होंने कितने पैसे दिए ?
– कियोस्क संचालक- फिर वही बात। जितना पैसा उस हिसाब से खर्च। इतना 10 त्राख रुपए भुगतान है। 20 हजार रुपए लिए है। पूछ लो आप ही।
– रिपोर्टर- हम एक दो दिन में पैसों की व्यवस्था करके आ जाएंगे ?
– कियोस्क संचात्रक- पैसा ल्राओगे या नहीं कन्फर्म बता दो। ताकि बात आगे करू। 15 दिन के अंदर भुगतान हो जाएगा।
– रिपोर्टर- कन्फर्म है। आप कार्रवाई कीजिए ?
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इस पूरे मामले में पत्रिका टीम को चार ऐसे रिटायई कर्मचारी मिल चुके है, जिनका आवेदन बार-बार रिजेक्ट होता रहा। लेकिन, जब वह सुनील से मिले तो उनका काम हो गया। लेकिन इसके बदले में उन्हें कमीशन देना पड़ा। आखिर, ऐसे कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो ग्वालियर के भविष्य निधि कार्यालय से सुनील के संपर्क में है और बार-बार पीएफ से जुड़े हुए आवेदन रिजेक्ट करते रहते हैं। पैसा देते ही केस स्वीकृत कर देते हैं। यह भी जांच का विषय है और सहकारिता विभाग का कौन कर्मचारी है, जो रिटायर्ड कर्मचारियों को सुनील का पता बताता है।
ब्यावरा के रिटायर्ड सहकारी बैंक मैनेजर कृष्णगोपाल मिश्रा का कहना है कि ‘मैं तीन बार आवेदन कर चुका हूं। लेकिन मेरा काम ही नहीं हुआ। फिर मुझे इस कियोस्क सेंटर की जानकारी दी गई। मुझसे 50 हजार रुपए की मांग की जा रही है। ये मामला वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में ला दिया है।’
वहीं, राजगढ़ कलेक्टर हर्ष दीक्षित का कहना है कि हम दिखवा लेते हैं, कौन कियोस्क संचालक है और वो कैसे इस पूरे मामले से जुड़ा है। जांच के बाद निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। जांच के लिए एक टीम बनाई जा रही है।