कला में अपनी क्रिएटिविटी और कुन्दन जड़ाई के बारीकबीनी वर्क में सिद्धहस्तता को लेकर खास पहचान रखने वाले धर्मेंद्र भल्ला कई दफा नवाजे जा चुके हैं। वे कहते हैं कि कला में विजन और स्टोरी में रेशनल संयोजन होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा कलर टोंस, टेक्श्चर्स और टेक्निक किसी भी कलाकृति को संपूर्ण ही नहीं संपुष्ट बनाती है। इतना ही नहीं कला में लयात्मकता व लौच प्राइमरी व आनुषंगिक हिस्सा होते हैं।
आईना फ्रेम में दिखीं पौराणिक कथाएं
दर्पण के डिजाइन नवीनीकरण में हिन्दुस्तान की सम्पन्नता को दर्शाते हुए पौराणिक कथाओं के माध्यम से विष्णु भगवानजी के विश्राम करने के ऐश्वर्य से लेकर शिव भगवानजी के वैभव को दर्शाया है। पर्स कलाकृति में खुली जड़ाई, पच्ची का काम, स्टोन कार्विंग, स्टोन कटिंग, स्टोन के दांते, जाली का काम, चिताई का काम, इंले का काम, बेजल सेटिंग का कामए गंगा.यमुना का काम बेमिसाल है। लाठी कलाकृति की इनोवेटिव डिजाइन में एक तोते को जकडऩे को प्रतीक के रूप में पिरोया गया है।