वहीं मंगलवार को थालादिघावन तहसीलदार सीजी गोस्वामी एवं थाना प्रभारी विमलेश राय ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और नाव चालकों को आवश्यक निर्देश दिए। यात्रा के मार्गों पर होने वाली व्यवस्थाओं को समझा। तहसीलदार ने संबंधित पंचायत सचिवों को निर्देश देकर नर्मदा घाटों के रास्तों को दुरस्त कराया, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो और उनके वाहन नर्मदा तट तक सुगमता से पहुंच सकें।
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पंचकोशी यात्रा मां नर्मदा के पांच घाटों की पूजा करते हुए पैदल की जाती है। इस वर्ष यात्रा में लगभग 25 से 40 हजार श्रद्धालु आने की संभावना है। यात्रा के बाद श्रद्धालु पुन: शोकलपुर घाट आकर रुकते हैं, जबकि शोकलपुर घाट पर पंचकोशी के बाद चार दिनों तक मेला लगा रहता और लोग दूर-दूर से आते हैं।
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शोकलपुर घाट पर है तीन नदियों का संगम
पूरे नर्मदा क्षेत्र में शोकलपुर घाट का विशेष महत्व है। नर्मदा पुराण में इसे शुक्लेश्वर के नाम से जाना जाता है। शोकलपुर घाट पर तीन नदियों का संगम होने से इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। संगम पर नीला जल दिखाई देता है। रामायण सहित अन्य ग्रंथों में नर्मदा के शोकलपुर घाट और पंचकोशी यात्रा का वर्णन है। इस घाट पर स्नान एवं पूजा पाठ करना शुभ माना जाता है। इसी कारण शोकलपुर घाट पर रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, सागर और भोपाल के श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। घाट पर गुरु महाराज स्वामी की जीवित समाधि बनी है।
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क्षेत्र एवं दूरदराज के लोग अपनी मन्नतें लेकर गुरु महाराज के चरणों में आते हैं। तहसीलदार देवरी सीजी गोस्वामी ने बताया कि मंगलवार को शोकलपुर घाट पहुंचकर व्यवस्थाएं देखी और नाव चालकों को क्षमता से ज्यादा यात्री नहीं बैठाने की सख्त हिदायत दी गई। यात्रा के मार्गों को भी दुरुस्त कराया गया। मेले में लगने वाली दुकानों को व्यवस्थित रुप से लगवाने के निर्देश पंचायत सचिव को दिए गए।