बढ़ने लगी इस अभ्यारण्य की लोकप्रियता जब छत्तीसगढ़ में मिला जंगल बुक का बघीरा
रायपुर. पूरे देश में 27 सितम्बर का दिन विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे मनाने का लक्ष्य विश्वभर में पौराणिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक जगहों को सहेजना और पूरी दुनिया में उसे पहचान दिलाना है।
देश भर में अभ्यारण्य लोगों की आकर्षण का केन्द्र होता है जहां लोग प्राकृतिक सुंदरता के साथ वाइल्ड लाइफ का भी आनंद लेते हैं। पूरे देश में कुल 543 अभ्यारण्य है जिसमें से 11 अभ्यारण्य छत्तीसगढ़ में हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व है।
कुछ समय पहले उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के सीसीटीवी कैमरे में काले तेंदुए को घूमते हुए रिकॉर्ड किया गया था। जिसके बाद से ही छत्तीसगढ़ में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की लोकप्रियता बढ़ चुकी है। आखिरकार कब तक बघीरा कैमरे की निगाहों से बचता, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में काम करने वाले अमीनुद्दीन कहते हैं- ‘जानते हैं दूर से देखने में वो काला लगता है, जब नजदीक जाओ तो उसका रंग ठीक वैसा है रुडयार्ड कपलिंग के जंगल बुक के बघीरा का था।’ मोगली व बघीरा रूडयार्ड कपलिंग के कॉमिक के बहुत ही चहेते किरदार हैं। जिनकी अनोखी दोस्ती को फिल्मों में भी दर्शाया गया है।
छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी के जंगलों में पहली बार विलुप्तप्राय हो चुके काले तेंदुए को विचरण करते रिकार्ड किया गया था। चीन, जावा और अफ्रीका में बहुतायत मिलने वाले काले तेंदुए हिंदुस्तान में बेहद कम पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के जंगलों में भी इनके देखे जाने की बात पहले भी कही जाती रही है। लेकिन पहली बार इन काले तेंदुओं पर रिसर्च रिपोर्ट तैयार हुई है, जो कई साइंस जर्नल में शामिल भी की गई है। उदंती के टीम द्वारा ब्लैक पैंथर्स की तस्वीरें जंगल में छिपे कैमरों से पिछले वर्ष ही ली गई थी।
588 वर्गकिमी में की गई थी कैमरों से ट्रैपिंग : धमतरी और गरियाबंद जिले के बीच 1842.54 वर्गकिमी में फैले जंगल में काले तेंदुए को ढूंढना अंधेरे में सूई में धागे डालने जैसा ही था। तकरीबन 24 साल पहले एक आइएफएस अधिकारी ने उदंती में काला तेंदुआ होने की बात कही थी।
इसके बाद दो वर्ष पूर्व अचानकमार में भी एक काली मादा और उसके दो शावकों को देखे जाने की बात कही जा रही थी। लेकिन उसका जंतु वैज्ञानिक रिकार्ड नहीं था। वैसे में उदंती में काम कर रही युवा टीम को लगा कि जैसे भी हो काले तेंदुए की हकीकत पर से पर्दा उठाना चाहिए। फिर क्या था, 80 दिनों के लिए 588 वर्गकिमी क्षेत्र में तकरीबन 200 कैमरे तीन ब्लाकों में लगा दिए गए। दिन हो या रात, ये हाईडिफनिशन कैमरे जंगल में हो रही छोटी-सी-छोटी गतिविधि को रिकार्ड करते जा रहे थे और फिर एक रोज कैमरे ने एक अकेले गुजरते काले तेंदुए का फोटो खींचा। जब उसी शॉट को नजदीक करके देखा गया तो पता चला वह केवल काला नहीं है, बल्कि उसका रंग कुछ वैसा है जैसे मोगली के दोस्त बघीरा का था।
और भी मिल सकते हैं घोस्ट ऑफ द जंगल 2011 में अचानकमार में भी काले तेंदुओं को देखे जाने की बात कही जा रही थी। फिर इस वर्ष फरवरी में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर देशभर में अखिल भारतीय बाघ गणना के दौरान अचानकमार की कुछ तस्वीरों में भी इनके तीन से चार की संख्या में होने की बात सामने आई, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि जंगल में काले तेंदुए के होने को साइंटिफिक रेकार्ड किया गया। उदंती के अमीनुद्दीन कहते हैं कि उदंती में ब्लैक पैंथर की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। जंगलों में कैमरे लगाकर ट्रैपिंग का काम चल रहा है। न जाने कब फिर से कोई दूसरा काला तेंदुआ कैमरे की गिरफ्त में आ जाए। महत्वपूर्ण है कि एक ही मां से काले और पीले दोनों रंग के शावकों का जन्म हो सकता है।
घने व नमी वाले जंगलों में ही मिलते हैं काले तेंदुए यह एक वैज्ञानिक सच है कि काले तेंदुए घने और नमी वाले जंगलों में ही ज्यादातर मिलते हैं। नेशनल केव रिसर्च एंड प्रोटेक्शन आर्गेनाइजेशन के डॉ. जयंत विश्वास कहते हैं कि उदंती में जो काला तेंदुआ मिला है, वह खतरनाक किस्म का नहीं है। लेकिन यह जरूरी है कि जंगल के खाद्य चक्रों को सुरक्षित रखते हुए उनके संरक्षण के उपाय किए जाएं। गौरतलब है कि काले तेंदुओं की कोई विशेष प्रजाति नहीं होती, बल्कि जीन में म्यूटेशन की वजह से उनका रंग अचानक ऐसा हो जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई सामान्य रंग का दिखने वाला तेंदुआ अचानक काला हो जाए।
छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक के.सी. यादव ने बताया कि यह जैव विविधता के दृष्टिकोण के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण है। मैंने उदंती के अधिकारियों को इसके लिए बधाई भेज दी है।
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जियोग्राफिकल इन्फार्मेशन सेंटर जियोलाजिस्ट और प्रोग्राम कोआर्डिनेटर अमीनुद्दीन रजा ने बताया कि हमारी यह खोज महत्वपूर्ण है। सेंट्रल इंडिया में पहली बार काले तेंदुए के किसी जंगल में होने के वैज्ञानिक साक्ष्य मिले हैं।
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