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छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के स्वतंत्रता काल में दिए गए सर्वोच्च बलिदान को याद दिलाएगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिवासी परंपरा से भी आमजन को रूबरू करवाएगा। यह संग्रहालय सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र के रूप में बनकर उभरेगा। प्रमुख सचिव बोरा ने कहा, भगवान बिरसा मुुंडा के जन्मदिवस पर नवंबर में शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय का लोकार्पण किया जाना प्रस्तावित है।
उन्होंने अधिकारियों, इंजीनियर्स, क्यूरेटर एवं निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से अब तक के कार्य की प्रगति की जानकारी ली और निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से कार्य को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने के लिए मैन पावर बढ़ाने के निर्देश भी दिए।
संग्रहालय में दिखेगी झांकी
प्रथम गैलरी में छत्तीसगढ़ की जनजातीय जीवन शैली को दर्शाया जाएगा, वहीं दूसरी गैलरी में राज्य की जनजातियों पर अंग्रेजों और स्थानीय हुकूमत के अत्याचार, तीसरी गैलरी में हल्बा विद्रोह, चौथी गैलरी में सरगुजा विद्रोह, पांचवीं गैलरी में भोपालपट्टनम विद्रोह, छठवीं गैलरी में परलकोट विद्रोह, सातवीं गैलरी में तारापुर विद्रोह, आठवीं गैलरी में लिंगागिरी विद्रोह, नौवीं गैलरी में कोई विद्रोह, के दृश्य होंगे। दसवीं गैलरी में
दंतेवाड़ा के मेरिया विद्रोह, ग्यारवीं गैलरी में मुरिया विद्रोह, बारहवीं गैलरी में रानी चौरिस विद्रोह, तेरहवीं गैलरी में बस्तर के भूमकाल विद्रोह, चौदहवीं गैलरी में शहीद वीर नारायण सिंह के सोनाखान विद्रोह एवं पंद्रहवीं गैलरी में झण्डा सत्याग्रह व जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष को बखूबी चित्रण किया जा रहा है।