बीते साल पुनर्मूल्यांकन की कॉपियों का बंडल तक नहीं खुला और कागजों पर परीक्षार्थियों को मनचाहे अंक बांट दिए गए। इस गड़बड़ी की जांच में पुष्टि हो गई, पर अभी तक सिर्फ एक प्रोफेसर को ही आरोपी बनाया जा सका है।
शिक्षा गुणवत्ता सुधार के प्रयास के बाद भी कई संकायों के रिजल्ट का प्रतिशत कम ही रहे। जिसे लेकर बीकॉम के छात्र धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। उनका आरोप था
कि पुनर्मुल्यांकन के नाम पर छात्रों से वसूली करने के
लिए खराब रिजल्ट जारी किया गया है।
परीक्षा देने के बाद भी गैरहाजिर दिखाकर फेल करने का भी मामला कई बार सामने आ चुका है। जब बवाल मचा तो रविवि प्रशासन दलील देती है कि मानवीय त्रुटियों की वजह से एेसी गलती हो जाती है। लेकिन इसका खामियाजा छात्र ही भुगतते हैं।
नीता बाजपेयी, पीआरओ, रविवि
1. अंक सूची में नाम **** अन्य त्रुटियां
2. पुनर्मूल्यांकन कराने में भी विवाद
3. समय से नहीं कर पाते डिग्रियों का वितरण
4. माइग्रेशन के लिए भी रहती मारामारी
5. गैरहाजिर दिखाकर कर देते हैं फेल
फूलंचद कॉलेज के बीएड शून्य
रविवि एमसी मैथ्स 7%
रविवि बीकॉम 33%
रविवि बीए द्वितीय वर्ष 44% सुधार के आवेदन
नाम सुधार 12 हजार
अंक त्रुटि 16 हजार
विषय सुधार 500
नहीं चढ़ा अंक 1269
पुनर्मूल्यांकन 1500
माइग्रेशन 3500