एक साल में हमने 36 प्रमुख वादों में से 13 को पूरा कर दिया है। आने वाले समय में भी हम अपने वादों पर कायम रहेंगे। बुधवार की शाम को पत्रिका कार्यालय पहुंचे पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री टीएस सिंहदेव ने हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी और सरकार की मंशा स्पष्ट की।
उन्होंने बताया कि जीएसटी लागू होने से छत्तीसगढ़ को काफी नुकसान हुआ है। अभी तो केंद्र सरकार ५ साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई करने के लिए 14 फीसदी राशि दे रही है। जब यह राशि बंद हो जाएगी, तो छत्तीसगढ़ के हालात और भी खराब हो जाएंगे। मंत्री सिंहदेव कहा, अकेले कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ को करीब 32 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि जीएससी लागू होने से पहले छत्तीसगढ़ को कोयला उत्पादन से करीब 57 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता था।
सरपंच चुनाव प्रक्रिया में बदलाव से पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार सरपंच चुनाव को लेकर मंत्री सिंहदेव ने कहा, नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में बदलाव के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई है। इसमें राज्य शासन से जवाब मांगा गया है। इस मामले में कोर्ट के फैसले के बाद ही सरंपच चुनाव प्रक्रिया पर बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा, सरकार को चुनाव प्रक्रिया में बदलाव का पूरा अधिकार है। सरकार की मंशा है कि जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्ष की तर्ज पर सरपंच का चुनाव भी पंचों के माध्यम से हो।
जीरो ईयर के लिए एमसीआई दोषी अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर को लेकर स्वास्थ्य मंत्री केंद्र सरकार के रवैए से नाराज दिखाई दिए। उन्होंने कहा, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज जीरो ईयर नहीं होना चाहिए था। बीते वर्ष की तुलना में स्टाफ, इंफ्रास्ट्रक्चर, मशीन,उपकरण की नई व्यवस्था की गई थी। हमारे तरफ से दस्तावेजों में भी कोई कमी नहीं थी। जीरो ईयर घोषित होने के लिए सीधे तौर पर मेडिल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) दोषी है।
निजी अस्पतालों के पैकेज से बाहर होंगे 170 इलाज सिंहदेव ने खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना लागू होने के बाद निजी अस्पतालों से 170 इलाज के पैकेज बाहर होने के संकेत दिए हैं। उनका कहना है, आम जनता के टैक्स के पैसों से ही इंश्योरेंस कंपनियों को भुगतान हो रहा था, जो उचित नहीं था। स्वास्थ्य सेवा का सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी जनता के पैसों से ही बना है। जब सरकारी अस्पतालों में ही इलाज की संपूर्ण व्यवस्था है तो फिर निजी अस्पतालों को क्यों योजना में शामिल किया जाए? जो पैसा बचेगा, उससे सरकारी अस्पताल सुधरेंगे।