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रायपुर

Cancer Surgery : मध्य भारत के सरकारी अस्पताल में पहली बार नई तकनीक से कैंसर का इलाज

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान रायपुर के Cancer Surgery विभाग में पहली बार पाइपेक विधि से पेट की झिल्ली के कैंसर का किया सफल उपचार

रायपुरJan 15, 2025 / 11:06 pm

Anupam Rajvaidya

Cancer Surgery
Cancer Surgery : नित नए वैज्ञानिक शोध, परीक्षण और निष्कर्ष पर आधारित आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से कई गंभीर बीमारियों से ठीक हो रहे हैं। डॉक्टरों की उपचार प्रक्रिया और मरीज की सकारात्मक सोच की बदौलत कैंसर जैसे असाध्य रोग भी अब साध्य हो चले हैं। इसी क्रम में हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के आंकोसर्जरी (Oncosurgery, कैंसर सर्जरी) विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पेट की झिल्ली (पेरिटोनियम) के कैंसर से पीड़ित महिला का उपचार पाइपेक (PIPAC) पद्धति से कर उसके जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाई है। संभवतः मध्य भारत के किसी भी सरकारी कैंसर अस्पताल में डॉक्टरों ने पहली बार इस पद्धति से मरीज के पेट की झिल्ली के कैंसर का इलाज किया है।
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क्या है पाइपेक तकनीक

पाइपेक एक लेप्रोस्कोपिक (Laparoscopic) प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि डॉक्टर मरीज के पेट में एक या दो छोटे छेद करके इस प्रक्रिया को पूरी करते हैं, जिन्हें एक्सेस पोर्ट (Access Port) भी कहा जाता है। पाइपेक यानी प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियलएरोसोलाइज़्ड कीमोथैरेपी, कैंसर बीमारी में दी जाने वाली कीमोथैरेपी का ही एक प्रकार है। यह उदर गुहा में दबाव के साथ कीमोथैरेपी को पहुंचाती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। कैंसर सर्जन डॉ. (प्रो.) आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में लेप्रोस्कोपिक विधि से न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के अंतर्गत की गई इस उपचार विधि में कीमोथैरेपी को एक मशीन के जरिये एरोसोल के रूप में दिया जाता है। इससे कैंसर उत्तकों में दवा का प्रभाव ज्यादा होता है और कैंसर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ओडिशा की रहने वाली 54 वर्षीय मरीज को उपचार के पांच दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। उपचार के बाद वह अब ठीक है और फॉलोअप के लिए आ रही है।
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सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रक्रिया

क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के संचालक एवं पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने पहली बार इस नई विधि से किए गए सफल उपचार के लिए कैंसर सर्जरी विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रक्रिया है, जो कीमोथैरेपी के प्रभाव को बढ़ाता है। कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer), डिम्बग्रंथि का कैंसर और गैस्ट्रिक कैंसर जैसी कैंसर बीमारियों में कीमोथैरेपी के नए विकल्प के रूप में इसे अपनाया जा सकता है। प्रयास करेंगे कि भविष्य में कैंसर के अन्य मरीजों को भी इस उपचार सुविधा का लाभ मिल सके। आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital Raipur) अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों के उपचार हेतु किए जा रहे निष्ठापूर्ण प्रयासों ने लोगों का विश्वास इस संस्था के प्रति सदा से ही बनाए रखा है।
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लीवर और किडनी जैसे अंगों को कम नुकसान

कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के अनुसार प्रेशराइज्ड इंट्रापेरिटोनियलएरोसोलाइज़्ड कीमोथैरेपी एक तकनीक है, जो दबाव के तहत एरोसोल के रूप में उदर गुहा में कीमोथैरेपी को पहुंचाती है। एरोसोल (Aerosol) दो शब्दों से मिलकर बना है- एयरो यानी विशेष हवा और सोल यानी द्रव में अत्यंत छोटे कणों के रूप में पदार्थ का मिश्रण। दबावयुक्तएरोसोल पूरे पेट में कीमोथैरेपी को समान रूप से वितरित करता है। एडवांस पेरिटोनियम कैंसर, जीआई कैंसर और एडवांस ओविरयन कैंसर जैसी बीमारियों में उपचार की इस नई प्रक्रिया के कई संभावित लाभ हो सकते हैं। कीमोथैरेपी की हाई कंसंट्रेशन के कारण कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है और अन्य अंगों को नुकसान कम होता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे मतली, उल्टी, कब्ज, दस्त और भूख न लगना जैसी स्थितियां कम होती हैं। लीवर और किडनी जैसे अंगों को कम नुकसान होता है।
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ऐसे पूरी की जाती है प्रक्रिया

डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले प्रक्रिया के लिए एक्सेस पोर्ट बनाते हैं, फिर पेरिटोनियम (पेट की परत वाली झिल्ली) को फुलाने के लिए पोर्ट का उपयोग करते हैं। एक एक्सेस पोर्ट में दबावयुक्त कीमोथैरेपी देने वाला उपकरण डालते हैं। दबावयुक्तएरोसोल कीमोथैरेपी को लगभग 30 मिनट तक पेरिटोनियम के भीतर दिया जाता है। इसके बाद मरीज के पेट से सभी उपकरणों को बाहर निकाल देते हैं और छोटे छेद/ चीरे को बंद कर देते हैं। उपचार करने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता के साथ डॉ. किशन सोनी, डॉ. राजीव जैन, डॉ. गुंजन अग्रवाल और एनेस्थीसिया से डॉ. शशांक शामिल रहे।

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