सीता की रसोई को जान सकेगी दुनिया
सीताबेंगरा और जोगीमारा की गुफाएं तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्यकाल के समय की मानी जाती हैं। जोगीमारा गुफा में मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि में अभिलेख तथा सीताबेंगरा गुफा में गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में अभिलेख के प्रमाण मिलते हैं। जोगीमारा गुफा की एक और विशेषता है कि यहां भारतीय भित्ति चित्रों के सबसे प्राचीन नमूने अंकित हैं।
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रामगढ़ के निकट स्थित महेशपुर वनस्थली महर्षि की तपोभूमि थी। इस स्थल पर ही लगभग 10 फीट ऊपर कालीदासम् खुदा हुआ है। सीताबेंगरा के पाŸव में एक सुगम सुरंग मार्ग है, जिसे हाथी पोल कहते हैं। इसकी लम्बाई लगभग 180 फीट है। इसका प्रवेश द्वार लगभग 55 फीट ऊंचा है। सुरंग के भीतर ही पहाड़ से रिसकर एवं अन्य भौगोलिक प्रभाव के कारण एक शीतल जल कुण्ड बना हुआ है। देश के पर्यटन नक्शे में भगवान श्री राम के वनवास काल से जुड़ा यह महत्वपूर्ण स्थल नई संभावनाओं के साथ उभरकर सामने आएगा।
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