गैंगस्टर शिवराज सिंह कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश
नयापुरा थाने में दर्ज राजकार्य में बाधा के करीब 13 साल पुराने मामले में
गैंगस्टर शिवराज सिंह को शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश
किया गया।
नयापुरा थाने में दर्ज राजकार्य में बाधा के करीब 13 साल पुराने मामले में गैंगस्टर शिवराज सिंह को शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया।
खेड़ली फाटक आदर्श कॉलोनी निवासी शिवराज सिंह व 6 अन्य लोगों के खिलाफ नगर विकास न्यास की तत्कालीन अधिशासी अभियंता अंजू शर्मा ने 11 जनवरी 2002 को रिपोर्ट दी थी।
इसमें कहा था कि वह अपने अन्य अधिकारियों के साथ एमबीएस अस्पताल के सामने सड़क कार्य का निरीक्षण कर रही थी। तभी शिवराज सिंह, देवेन्द्र सुराणा, लोकेन्द्र सिंह, ओम प्रकाश गौड़, अजय भान सिंह, भीम लोधा आए।
यहां उनकी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई और उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। इससे अधिकारी इंद्रजीत सिंह के चोटे आई। पुलिस ने 7 आरोपितों के खिलाफ राजकार्य में बाधा का मामला दर्ज किया था।
शिवराज सिंह के अधिवक्ता आशीष माहेश्वरी ने बताया कि इस मामले में अजय पाल सिंह व शिवराज ही शेष बचे हैं, जबकि अन्य का फैसला हो चुका है।
शिवराज सिंह के एक अन्य मामले में अजमेर जेल में बंद होने पर गुरुवार को उसे कड़ी सुरक्षा के बीच 2 उत्तर अदालत में पेश किया।
पेशी के दौरान गवाह उपस्थित नहीं होने से सुनवाई नहीं हो सकी। अब 3 दिसम्बर को सुनवाई होगी। इस दिन शेष 4 गवाहों को तलब किया गया है।
देखने वालों की भीड़
शिवराज को अजमेर से लाकर कलक्ट्री परिसर में रखा गया। वहां से जब कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया तो परिसर में उसे देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। पेशी के दौरान उप अधीक्षक शिवभगवान गोदारा, नयापुरा थानाधिकारी कालूराम वर्मा व कमांडो और आरएसी के जवान भी तैनात थे।
2011 में की थी भानुप्रताप की हत्या
गैंगस्टर शिवराज सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर वर्ष 2011 में पेशी पर ले जाते समय बिजौलिया के पास गैंगस्टर भानुप्रताप सिंह की गाड़ी को रोककर उस पर फायर किए थे। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने शिवराज सिंह को गिरफ्तार किया था। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है। इसमें 110 में से मात्र 6 गवाहों के ही बयान हुए हैं।
इन मामलों में भी है वांछित
शिवराज सिंह के खिलाफ भीमगंजमंडी थाने में वर्ष 2010 में और बोरखेड़ा थाने में वर्ष 2013 में डकैती की साजिश रचने व अवैध हथियार रखने का और मोड़क थाने में वर्ष 2012 में जानलेवा हमले का मुकदमा भी दर्ज हैं। ये मामले भी अभी विचाराधीन हैं, जिनमें शिवराज सिंह की गिरफ्तारी होनी बाकी है।
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