एकजुटता की खुशबू लिए 1950 में चार धर्म के लोगों ने मित्र मंडल समिति बनाकर आपसी भाईचारे की नींव रखी थी। इसके बाद वर्ष 1995 में महिलाओं ने समिति के नाम में परिवर्तन कर सर्वधर्म गणेशोत्सव समिति रखा। जो आज भी वहीं, आपसी भाईचारे की सोच लिए महिलाएं पूरी लगन से गणेश जी की पूजा करती हैं। शासकीय हिंदू हाई स्कूल की सेवानिवृत्त शिक्षिका एवं सर्वधर्म समिति के अध्यक्ष विजय लक्ष्मी कश्यप ने बताया कि एकता की सोच लिए मित्र मंडल समिति की ओर शुरू की गई। यह परंपरा आज भी यहां की महिलाओं में जिंदा है। संगठन में भले ही अब चार धर्मों की महिलाओं की भागीदारी कम हो गई है, लेकिन उनका सहयोग कम नहीं हुआ है। लोग ग्यारह दिनों तक अपनी स्वेच्छा से प्रसाद या अन्य प्रकार का सहयोग करने पहुंच जाते हैं।
कौमी एकता का संदेश लिए मित्र मंडल समिति के अध्यक्ष पंडित मुन्नी लाल पाण्डेय ने गणेशोत्सव मानने की शुरुआत की थी। इस समिति में हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई धर्म के लोग शामिल थे। वहीं, समिति के प्रारंभ में पुरुषों का भी सहयोग था। सर्वधर्म समिति के अध्यक्ष ने बताया कि उनकी इस परंपरा को आज भी संगठन की महिलाएं निभा रही हैं।
महिला मित्र मंडल समिति के बाद एकजुटता का भागडोर संभाल रही सर्वधर्म संगठन की महिलाएं 20 वर्षों से सच्चे मन से गणेशोत्सव का पर्व मना रहे हैं। आगे भी यह कारवां जारी रहेगा। उम्र के अंतिम पड़ाव में शारीरिक कमजोरी के बाद भी इन महिलाओं में भाईचारे की भावना अपने दिल में बसाए हुए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग में संचनालय में कार्यरत समिति के सदस्य कलावति पाण्डेय ने बताया कि एकजुटता का संदेश लिए गणेशोत्सव मनाने का परंपरा आगे भी चलता रहेगा। आने वाली पीढ़ी भी इसे पूरी लगन के साथ हमारा सहयोग कर रही है।
समिति सदस्य अनिता राय ने बताया कि समिति हर वर्ष चंदा नहीं आपसी सहयोग से पैसा देकर गणेशोत्सव मनाती है। लोग स्वेच्छा से दान दक्षिणा कर गणेश की पूजा करते हैं। मूर्तिकार रजत यदु हर वर्ष अपनी स्वेच्छा से समिति के लिए बनाता है।
बैरन बाजार मोहल्ले में गणेश उत्सव पर्व पूरे हर्षों उल्लास के साथ मनाया जाता है। पहले दिन से लेकर बप्पा की विदाई तक शहर की अलग-अलग महिला मंडल संगठन गणेश पंडाल के पास आकर भजन-कीर्तन करती है। यह सिलसिला पूरे 11 दिनों तक चलता है।