रायपुर. छत्तीसगढ़ में भूख और बेकारी से जूझते गांवों में
मानव तस्करी के बिछे सघन जाल के बीच कुछ क्षेत्र तो इसके दलदल में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं। इसमें अंबिकापुर, जशपुर, खरसिया और कोरबा से लगभग समान दूरी (100 किमी) पर मौजूद कापू भी है। पत्रिका की पड़ताल में लगातार हैरान कर देने वाली बातें सामने आ रही हैं।
मानवीय तस्करी के लिए टापू बने कापू में आधा दर्जन से ज्यादा क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक दलाल सक्रिय हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक महज छह-सात को ही पकड़ा। नौकरी दिलाने के बहाने
मासूमों को ले जाने वाले दलालों के यहां फलने-फूलने की वजह सब कुछ जानने के बाद भी पुलिस का निष्क्रिय होना है। गरीबी और बेकारी से जूझते इस गांव के कमोवेश हर घर की पीड़ा है, जहां लोग दलालों के चंगुल में किसी न किसी तरह से उलझे या उनसे पीडि़त हैं।
पुलिस की पकड़ से दूर दलाल कापू क्षेत्र में तस्करी की बढ़ती शिकायतों के बाद यहां कुछ समय पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता अजय टीजी, डिग्री चौहान, अधिवक्ता रिनचिन, जगदीश कुर्रे, सुमीता केरकेट्टा, रीना रामटेके, फादर जैकब, आशीष बेक, विनय कुमार एक्का, आनंद स्वरूप, प्रेमसाय लकड़ा, शिशिर दीक्षित, याकूब कुजूर, लक्ष्मण महेश्वरी, धर्मेंद्र जांगड़े ने जनसुनवाई की कार्रवाई की थी और पुलिस को मानव तस्करों की गतिविधियों से अवगत कराया था, लेकिन पुलिस ने अब तक सुशील वर्मा उर्फ करोड़पति, महिला तस्कर संतोषी बाई, चंद्रवती, कमलाबती, फूलकुंवर, जर्नादन यादव और कृष्णा चौहान को गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इलाके में मानव तस्करी के काम में लगे रमेश, मनोज, गिरधारी, विक्की, उमेश और जमानत पर रिहा हुए बबलू सिदार की आवाजाही फिर से बढ़ गई है। इलाके में रहने वाले नन्हे नाम के एक शख्स के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि उसने रायगढ़ में पदस्थ रहे एक पुलिस अफसर को घरेलू कामकाज के लिए क्षेत्र से दो लोग दिलवाए थे। मानव तस्कर निरोधक प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी प्रदीप तिवारी ने कहा कि मानव तस्करी के मामलों में कापू को बेहद संवेदनशील माना जाता है। बावजूद इसके यदि यहां के पुलिसकर्मी मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो उन्हें चेतावनी दी जाएगी।
बेटी के इंतजार में पथरा गई हैं आंखें कापू के मढ़वाताल में रहने वाले रामसिंह की आपबीती दिल दहला देने वाली है। उसकी आंखें अपनी बेटी के इंतजार में पथरा गई हैं। करीब चार साल पहले उसकी बेटी बुधनी को खम्हारडीह गांव में रहने वाले गिरधारी ने एक मेले से अगवा कर तारा नाम की महिला को बेच दिया था। वहीं, धरमजयगढ़ थाने में पिता चीखता-चिल्लाता रहा कि उसकी बेटी को गिरधारी ले गया है, लेकिन पुलिस ने बुधनी को गुमशुदा बताते हुए इश्तहार जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। रात-दिन एक कर राम सिंह ने खुद ही गिरधारी को गांव में धरदबोचा और बेटी के बारे में पूछा। गिरधारी ने उसे बताया कि रायगढ़ के चक्रधर नगर में एचटी सेवा प्लेसमेंट एंड सिक्योरिटी का फर्म में वह काम कर रही है और उसे वहां तीन हजार रु. महीने मिल रहे हैं। हैरानी की बात यह थी कि बुधनी का नाम बदल कर माला कर दिया गया।
रामसिंह प्लेसमेंट एजेंसी पहुंचा तो मालूम हुआ कि एजेंसी अपना कारोबार समेटकर दिल्ली जा चुकी है। राम सिंह ने इसकी जानकारी पुलिस को दी, लेकिन पुलिस स्टाफ ने आने-जाने के खर्च के लिए 2 हजार रुपए मांगे। गरीबी से जूझ रहे रामसिंह ने कर्ज लेकर पुलिस को रुपए दिए। अपने जीवन में पहली बार ट्रेन की यात्रा करने वाले रामसिंह ने बेटी की तलाश में दिल्ली के पंजाबी बाग, शकूरपुर जैसे कई इलाकों की खाक छानी, लेकिन बेटी नहीं मिली। अब तो रामसिंह के आंसू भी सूख गए हैं और वह अब मरने से पहले बेटी को देखने की बात कहते हुआ बिलख पड़ता है।
झांसा देकर ले गया बेटी को गितकालो के रहने वाले ढरकूराम भी अपनी बेटी का इंतजार कर रहे हैं। उनकी बेटी शांति सात साल की थी, तब इलाके के एक शख्स केरकेट्टा ने ढरकू से यह कहकर शांति को गोद ले लिया था कि तुम लोग गाय-बैल चराते रह जाओगे। वह लड़की को पढ़ा-लिखाकर इंसान बना देगा। कुछ समय बाद ढरकू को पता चला कि उसकी बेटी दिल्ली में बेच दी गई है। ढरकू ने थाने पहुंचा तो पुलिसवालों ने गाली-गलौज देकर भगा दिया। ढरकू को अब भी बेटी का इंतजार है। वहीं केरकेट्टा गांव में बेखौफ घूम रहा है।
बहन मिली तो पिता गायब चीतामाढ़ा के इलियस की आपबीती दर्द से भरी है। कुछ समय पहले वह अपनी बहन को खोज रहा था और अब उसे पिता लालसाय की भी तलाश है। दिल्ली की प्लेसमेंट एजेंसी के पृथ्वीपाल ने इलियस की बहन को बेच दिया था। परिवार के लोगों ने पृथ्वीपाल पर दबाव बनाया तो वह उसके पिता लालसाय को अपने साथ मुंबई ले गया। लड़की वापस आ गई तो पिता गायब हो गए।
आरोपी जेल में बेटी का पता नहीं मढ़वाताल में रहने वाली सनियारो बाई की बेटी जुलेता भी अब तक घर नहीं लौट सकी। सनियारो के घर आने-जाने वाले खम्हार निवासी जनार्दन उसकी बेटी को पढ़ाने-लिखाने के नाम पर ले गया था। सनियारो के पति देवसाय ने बेटी के बारे में पूछा तो जनार्दन ने उसे चार हजार रुपए थमा दिए और कहा कि जुलेता दिल्ली में मेमसाब बन गई है। सनियारो ने थाने में रिपोर्ट लिखवाई तो जनार्दन को जेल भेज दिया गया, लेकिन बेटी का अब तक पता नहीं चला।
तस्करी पर शिकंजा कसने बनेगी समिति मानव तस्करी के बढ़ते जाल की खबर पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में आला अफसरों की बैठक में मानव तस्करों पर शिकंजा कसने की रणनीति पर विचार किया गया। मानव तस्करी के तार झारखंड और ओडिशा से जुड़े हुए हैं, इसलिए तीनों राज्यों की पुलिस से समन्वय बनाया जाए। सीमा क्षेत्रों के थानों में अन्य राज्यों के तस्करों का ऑनलाइन रिकॉर्ड रखने के अलावा निगरानी समिति गठित करने का निर्णय भी लिया गया।
आदिवासी इलाकों से गरीबी को दूर करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। यदि सरकारी योजनाओं को लाभ आदिवासी इलाकों के लोगों को मिलता तो तस्करी पर अंकुश लगता। पांच सालों में
14 हजार से ज्यादा बच्चे और कई हजार युवतियां लापता हुए और सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बाद भी राज्य में तस्करी का सिलसिला थम नहीं पाया है तो इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा।
टीएस सिंहदेव , नेता प्रतिपक्ष इससे इंकार नहीं है कि कापू इलाके में जमकर मानव तस्करी होती है। मां-बाप खुद प्लेसमेंट एजेंसी वालों से पैसे लेकर बच्चों को दिल्ली, मुंबई भेज देते हैं। बच्चे पैसा भेजना बंद कर देते हैं तो चिल्लाने लगते हैं कि मेरे बच्चों को तस्कर ले गए। ऐसे कई अभिभावकों के बयान है, जिसमें उन्होंने स्वीकारा है कि बच्चों को सहमति से भेजा है।
आरपी तिवारी,
कापू में मानव तस्करी मामलों के विवेचना अधिकारी