scriptपहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ के 50 साल पूरे, जानिए रोचक तथ्य | Raipur : First Chhattisgarhi film Kahi Debe Sandesh complete 50 years | Patrika News
रायपुर

पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ के 50 साल पूरे, जानिए रोचक तथ्य

पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ को 50 साल पूरे हो चुके हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इस फिल्म की शूटिंग रायपुर में होनी थी, लेकिन 90 फीसदी शूटिंग पलारी में हुई।

रायपुरSep 18, 2015 / 06:57 pm

आशीष गुप्ता

First Chhattisgarhi film

film Kahi Debe Sandesh

रायपुर. पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ को 50 साल पूरे हो चुके हैं। हालांकि राज्य बनने के बाद कई ऐसी छत्तीसगढ़ी फिल्में बनीं, जिसने लोगों को सिनेमाघरों तक लाने पर मजबूर कर दिया। कहि देबे संदेस के गीतों में मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर, मन्ना डे, सुमन कल्याणपुर जैसे फनकारों ने अपनी आवाज दी थी।

फिल्म क्यों हुई पलारी में शूट
बहुत कम लोग जानते होंगे कि फिल्म का 90 प्रतिशत हिस्सा राजधानी से करीब 70 किमी दूर पलारी (अब बलौदाबाजार जिला) में ही शूट हुआ था, जबकि यह जगह फिल्मकार के लोकेशन में शामिल ही नहीं थी। आज आपको बता रहे हैं ऐसा क्या वाक्या हुआ कि लगभग पूरी फिल्म ही पलारी में शूट करनी पड़ी। इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक मनु नायक इन दिनों रायपुर प्रवास पर हैं। इस दौरान ‘पत्रिका’ ने उनसे खास बातचीत की।
first chhattisgarhi film

पार्टनर नहीं पहुंचा तो हो गए थे निराश
मनु ने बताया कि वर्ष 1965 में ये फिल्म महज 27 दिनों में बनकर तैयार हुई थी। मनु बताते हैं, उस दौर में छत्तीसढ़ी भाषा में फिल्म बनाना बड़ा ही जोखिम का काम था। हमारे पार्टनर ने यह कहकर बुलाया था कि आप अपनी टीम लेकर रायपुर पहुंच जाइए रुकने-ठहरने समेत सभी इंतजाम कर लिए जाएंगे, लेकिन जब हम टीम लेकर रायपुर स्टेशन पहुंचे तो कोई लेने ही नहीं पहुंचा। हम निराश हो चुके थे। उस रात तो किसी परिचित के यहां डेरा डाल लिया, लेकिन मैं बस स्टैंड में यह सोचकर घूमता रहा कि अब क्या करें।
First Chhattisgarhi film

पलारी विधायक से बंधी उम्मीद
इसी बीच पीछे से किसी ने आवाज दी। वह थे पलारी के तत्कालीन विधायक बृजलाल वर्मा। उन्होंने कहा कि आजकल अखबारों में आप छाए हुए हो, अगली फिल्म कब से शुरू कर रहे हो। मनु ने उन्हें आपबीती बताई। इस पर वर्मा ने कहा कि आप चाहें तो मेरे गांव पलारी चले जाएं। मैं वहां सारी व्यवस्था करवा देता हूं। इस बात से मनु की चिंता दूर हुई और अगले दिन वे पलारी के लिए रवाना हो गए तो इस तरह पलारी में पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ की शूटिंग की गई।

महाराष्ट्र की तर्ज पर बनाएं नियम
मल्टीप्लैक्स के युग में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को स्थान नहीं दिए जाने पर मनु ने बताया -महाराष्ट्र में नियम है कि सालभर में निश्चित दिनों तक मराठी फिल्म चलानी ही होगी। ऐसा अगर यहां की राज्य सरकार करती है तो मल्टीप्लैक्स वालों को छत्तीसगढ़ी फिल्म दिखाना अनिवार्य होगा।

फाइनेंसर मिले तो करूंगा फिल्म
उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुके मनु का जज्बा छत्तीसगढ़ी फिल्मों को लेकर आज भी बरकरार है। वे कहते हैं कि यदि कोई फाइनेंसर मिल जाए तो वे जरूर काम करना चाहेंगे। मनु का आसामी फिल्म ओ शेनाय, हरियाणवी फिल्म चंदो, सिंधी फिल्म हल ता भजीहलू, हिंदी मिंया बीबी राजी (1959), प्यार की प्यास (1961), जिंदा दिल (1974), जीते हैं शान से (1987) सहित कई फिल्मों में योगदान रहा है।
chhattisgarhi film director manu nayak

फिल्म वही चलती है जो अच्छी बनती है
इस दौर में छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर अश्लीलता परोसे जाने के प्रश्न पर मनु का कहना है कि फिल्म वही चलती है जो अच्छी बनती है। अश्लीलता और स्टार कोई मायने नहीं रखते। फिल्म की कहानी, स्क्रीप्ट, डायरेक्शन के अलावा मंझे हुए कलाकारों का अभिनय किसी भी फिल्म को अच्छी दिशा देता है।

स्कोप बढ़ेगा
पहली फिल्म के बाद लंबे अंतराल तक छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन नहीं होने के सवाल पर उनका कहना था कि नौसिखिए लोग आते चले गए जो खुद की पब्लिसिटी पर ज्यादा ध्यान दिया करते थे। उनके पास तजुर्बा भी नहीं था। इसलिए कुछ फिल्में आईं पर कामयाब नहीं हुई। इंसान गलती करके ही सीखता है। अब तो काफी सुधार आ गया है। आगे और स्कोप बढ़ेगा।
(ताबीर हुसैन)

Hindi News / Raipur / पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेस’ के 50 साल पूरे, जानिए रोचक तथ्य

ट्रेंडिंग वीडियो