सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमल प्रीत सिंह ने प्रदेश के शासन के सभी विभागों के अध्यक्षों,छत्तीसगढ़ राजस्व मण्डल बिलासपुर, सभी विभागाध्यक्ष, सभी संभागीय आयुक्तों, सभी कलेक्टरों, सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को हलबा कोष्टी और हलबी कोष्टी समुदाय के लोगों की शासकीय सेवाओं में नियुक्ति व अन्य आरक्षण नियमावली में लाभ देते हुए विषेष सर्तकता बरतने कहा है। सचिव डॉ. सिह ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी महाराष्ट्र राज्य बनाम मिलिंद व अन्य के मामले में पारित आदेश 28 नवंबर 2000 का हवाला देते हुए कहा है कि आदेश के तहत हलबा कोष्टी, हलबी कोष्टी जाति के ऐसे व्यक्तियों जिन्हें महाराष्ट्र राज्य के द्वारा जारी संविधान (अनुसूचित जनजाति आदेश, 1950) के आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है और उनकी नियुक्ति अनुसूचित जनज़ाति के आरक्षित रिक्त पद पर हुई है साथ ही नियुक्ति 28 नवंबर 2000 के पूर्व अंतिम हो चुकी है वे वह प्रभावित नहीं होगी, लेकिन उन्हें 28 नवंबर 2000 के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
बिना तथ्य छिपाए जाति प्रमाणपत्र बनवाने वालों को मिलेगा संरक्षण
सचिव डॉ. सिंह ने जारी आदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा कई याचिकाओं में युगल पीठ द्वारा 14 फरवरी 2017 को जारी आदेश के तहत ऐसे व्यक्ति जो 28 नवंबर 2000 से पूर्व सेवा में नियुक्त हुए हैं और वास्तव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के हलबा जनजाति समुदाय के सदस्य हैं और बिना किसी तथ्यों को छिपाए हलबा कोष्टी और हलबी कोष्टी का जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। उनकी सेवाओं को संरक्षण मिलेगा। साथ ही 28 नवंबर 2000 के बाद सामान्य श्रेणी का माना जाएगा और भविष्य में अनुसूचित जनताति के आरक्षण में उन्हें लाभ नहीं मिलेगा।
फर्जीवाड़ा कर जाति प्रमाण के आधार पर नौकरी हथियाने वालों की जाएगी नौकरी
आदेश में सचिव डॉ. सिंह ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति जो मध्यप्रदेश के हलबा जनजाति समुदाय के नहीं है और अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश में आकर रहने लगे हैं उन्हें मध्यप्रदेश का हलबा कोष्टी, हलबी कोष्टी जाति का नहीं माना जाएगा। साथ ही उनके द्वारा हलबा व हलबी कोष्टी का गलत तथ्यों के आधार पर किसी जानकारी को छिपाकर कूचरचना कर फर्जीवाड़ा कर जाति प्रमाप पत्र बनाकर नौकरी हथियाई है उनकी सेवाएं सुरक्षित नहीं रहेंगी। ऐसे लोगों को सेवा से अलग किया जाएगा।