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रायपुर

70 करोड़ का गुटखा गटक जाते हैं लोग, नतीजा- हर माह 150 को मुंह का कैंसर

– बेखौफ चल रहा कैंसर बेचने का धंधा: ताक पर रख दिए गए सारे नियम

रायपुरNov 18, 2022 / 05:43 pm

CG Desk

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गौरव शर्मा@ छत्तीसगढ़ में तंबाकू सेवन को लेकर लोगों में गजब की दीवानगी है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक प्रदेश की 39.1% आबादी तंबाकू का सेवन करती है। यह राष्ट्रीय औसत (28.4%) से 10.7% अधिक है। लोग तंबाकू का जिस रूप में सबसे ज्यादा सेवन करते हैं, वह है गुटखा।

राज्य सरकार ने 2012 में ही इसकी उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी, लेकिन कंपनियों ने इसका भी तोड़ खोज निकाला। बाजार में पान मसाला और जर्दा अलग-अलग पैकेट में बिकता है। दोनों को मिलाने पर गुटखा तैयार। पान मसाला कारोबारियों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में हर महीने लोग 70 करोड़ का पान मसाला और जर्दा गटक जाते हैं। इसी का नतीजा है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में हर महीने मुंह के कैंसर से जुड़े 150 मामले सामने आ रहे हैं।

गौरतलब है कि तंबाकू का सेवन मुख्यत: गुटखा, गुड़ाखु और सिगरेट के जरिए किया जाता है। इसमें भी सबसे ज्यादा लोग गुटखा का सेवन करते हैं। जबकि, सेहत बढ़ाने वाले ड्राई फ्रूट्स का मंथली कारोबार 50 करोड़ रुपए से भी कम है। बता दें कि गुटखा सेवन इतना गंभीर मसला है कि सरकार ने बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद मार्केट में गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। पान मसाला और जर्दा अलग-अलग पैकेट में बेचा जाता है। यानी सरकारी प्रतिबंध का कोई मतलब ही नहीं। खुलेआम चल रहे इस कारोबार की जानकारी सभी को भी है, लेकिन जिम्मेदारों ने मानो आंख ही मूंद ली है।

नियम कहता है
1 से 6 वर्ष तक की सजा, 1 लाख से 7 लाख तक जुर्माने का प्रावधान
25 जुलाई 2012 में राज्य सरकार ने गुटखे को खाद्य पदार्थ की श्रेणी में रखते हुए इसके उत्पादन, बिक्री और भंडारण पर पूरी तरह से रोक लगा दिया था। यानी इस पर कार्रवाई भी खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार होनी है। नियम कहता है कि खाद्य पदार्थ असुरक्षित पाए जाने दंड का प्रावधान है। इसके अनुसार इससे किसी को क्षति न हो तो 6 माह की सजा और 1 लाख जुर्माने का प्रावधान है। घोर क्षति होने पर 6 वर्ष की सजा के साथ 5 लाख तक जुर्माना। मृत्यु होने पर 7 लाख का जुर्माना और आजीवन कारावास का भी प्रावधान है। इतने कठोर नियमों के बावजूद प्रदेश में गुटखा धड़ल्ले से बिक रहा है और हर साल हजारों लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं।

आंबेडकर अस्पताल में ही हर साल 1800 मामले मुंह के कैंसर से जुड़े
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में हर साल 5 हजार से ज्यादा कैंसर पीड़ित इलाज के लिए पहुंचते हैं। जानकार हैरानी होगी कि इनमें 30 प्रतिशत मामले केवल मुंह के कैंसर से जुड़े होते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू सेवन है। इसी साल अस्पताल में मुंह के कैंसर से जुड़े 1800 मामले सामने आए हैं। डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से 90 प्रतिशत मामले गुटखा और गुड़ाखु के सेवन की वजह से होते हैं, जबकि 10 प्रतिशत अन्य कारण से।

कंपनियों की चालबाजी रोकनी चाहिए
राज्य सरकार ने गुटखे पर प्रतिबंध इसी उद्देश्य से लगाया है ताकि लोग इसका सेवन कर मुंह के कैंसर का शिकार न बनें। कंपनियों ने चालबाजी कर पान मसाला अलग और जर्दा अलग बेचना शुरू कर दिया है। ऐसे तो सरकार की मंशा पूरी नहीं होगी। जिम्मेदार विभागों को ऐसी कंपनियों और दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
– राजेंद्र जैन, वरिष्ठ वकील

नागरिक भी निभाएं जिम्मेदारी
मुंह के कैंसर से जुड़े मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। लोग हमारे पास जब तक पहुंचते हैं, तब तक मामला गंभीर हो चुका होता है। लोग जिस जगह पर गुटखा दबाते हैं वह स्थान सफेद दिखने लगे या वहां लगातार छाले हों या बिना दर्द का अल्सर दिखे तो तत्काल गुटखा छोड़ें। डॉक्टर से संपर्क करें। खुद के लिए जिम्मेदार बनें।
डॉ. प्रदीप चंद्राकर,कैंसर विशेषज्ञ, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल

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