रायपुर

आंबेडकर अस्पताल में सीटी स्कैन करवाने पहुंचा मध्यप्रदेश का मरीज, दहशत में डॉक्टर-नर्स, बोले- घर जाओ

– ऐसे मरीजों से डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ को है संक्रमण का खतरा .- किसी भी सरकारी, गैर-सरकारी अस्पताल में थर्मल स्क्रीनिंग नहीं होती .

रायपुरMay 21, 2020 / 11:38 pm

CG Desk

आंबेडकर अस्पताल में सीटी स्कैन करवाने पहुंचा मध्यप्रदेश का मरीज, दहशत में डॉक्टर-नर्स, बोले- घर जाओ

रायपुर . प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस कभी भी दस्तक दे सकता है। इसकी वजह है छोटी सी चूक। जी हां, अस्पतालों में आने- जाने वाले किसी भी व्यक्ति/ मरीज की न तो थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है, न ही यह पूछा जा रहा है कि वे कहां से आएं हैं ? ऐसे में कोरोना से प्रभावित पड़ोसी राज्यों के मरीज सीधे अस्पताल में दाखिल हो जा रहे हैं। गुरुवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में ऐसा ही एक मामला सामने आया।
जहां मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला का मरीज सीटी स्क्रैन करवाने रेडियोडाग्नोसिस विभाग के सीटी स्कैन चैंबर तक जा पहुंचा। सीटी स्कैन करवाने के लिए जब उसका नंबर आया तो उसे गाउन दिया गया। सिस्टर उसे इंजेक्शन लगाने ही वाली थी कि इस दौरान एक जूनियर डॉक्टर ने पूछा कि कहां से आओ, तो उसने बताया मध्यप्रदेश से तो हड़कंप मच गया।
‘पत्रिका’ टीम इस दौरान मौके पर मौजूद थी। डॉक्टर उससे तत्काल बाहर लेकर आए। उससे पूछताछ की। उसने बताया कि 15 मई को उसने कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया है, मगर अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली। तत्काल उसे कपड़े दिए गए, और कहा गया कि 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहो। उसके बाद जांच करवाने आना। इस दौरान डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ काफी देर तक दहशत में थे। इनका कहना था कि ऐसे लोगों की अस्पताल के गेट पर ही पहचान कर लेनी चाहिए। स्टाफ ने चर्चा के दौरान बताया कि १४ दिन पहले महाराष्ट्र से लौटा एक मरीज एमआरआई करवाने पहुंचा था।
मेडिकल स्टाफ के साथ दूसरे मरीजों को भी खतरा :
अगर, व्यवस्था में चूक से डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो इससे दूसरे स्टाफ पर बुरा असर पड़ता है। हमें अपने मेडिकल स्टाफ को सुरक्षित रखना है, क्योंकि वे ही फ्रंट-लाइन में हैं। मरीजों को इलाज मुहैया करवा रहे हैं। अगर, ये ही संक्रमित हो जाएंगे तो समझ सकते हैं कि क्या स्थिति होगी? मेडिकल स्टाफ के अलावा अस्पतालों में अन्य मरीज आते-जाते हैं, उन्हें भी संक्रमण से बचाना है।
आखिर क्यों नहीं की जा रही ऐसी व्यवस्था :
यह बात सिर्फ आंबेडकर अस्पताल की नहीं है। सभी को अस्पतालों सीख लेने की जरुरत है कि अस्पताल में दाखिल होने वाले हर व्यक्ति की संपूर्ण जांच हो। गेट पर ही थर्मल स्क्रीनिंग की जाए। आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति/मरीज/परिजनों की रजिस्टर में एंट्री हो। ओपीडी पर्ची बनाने के दौरान नाम, पूरा पता राज्य के नाम और मोबाइल नंबर के साथ दर्ज होना चाहिए। मगर, ऐसी व्यवस्था किसी अस्पताल में नहीं है।
एक मरीज के साथ एक परिजन और पास की व्यवस्था :
डीकेएस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल और जिला अस्पताल कालीबाड़ी प्रबंधन ने एक मरीज के साथ एक परिजन की व्यवस्था लागू की है। अगर, किसी को मिलने आना है तो उन्हें 10 रुपए की पर्ची कटवानी होगी। एक बार में एक ही परिजन को प्रवेश दिया जा रहा है।
मैंने सिक्योरिटी सुपरवाईजर को निर्देशित कर दिया है कि आने-जाने वालों का आई कार्ड देखा जाए। पंजीयन के समय पूरी जानकारी ली जाएगी। बिल्कुल, ऐसे लोगों से संक्रमण का डर तो है ही।
डॉ. विनीत जैन, अधीक्षक, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल, रायपुर

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