आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार आनावारी रिपोर्ट के आधार पर ही तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने का प्रावधान है। किसी तहसील की 25 फीसदी गांवों की आनावारी 37 पैसे से कम होने पर पूरी तहसील को सूखाग्रस्त माना जाएगा। 37 पैसे से कम आनावारी वाले गांवों के समूह को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 37.46 लाख कृषक परिवार है। इनमें से 12 लाख 44 हजार 629 परिवार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में है। एेसे में 35 पैसा आनावरी रिपोर्ट आती है, तो बीमित किसानों को करीब 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीमा राशि मिलने की संभावना है। जिनका बीमा नहीं उन्हें आपदा राहत कोष से फसल बीमा की राशि दी जाएगी। इस स्थिति में सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों को 13 हजार 800 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि मिल सकती है।
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के 25 किसान संगठन एकजुट होकर २१ सितम्बर को सीएम हाउस का घेराव करेंगे। यह फैसला शनिवार को किसान संगठनों की संयुक्त बैठक में लिया गया है। ये संगठन किसानों को 300 रुपए बोनस और 21 सौ रुपए समर्थन मूल्य, 5 एचपी तक सिंचाई पंप को नि:शुल्क बिजली, कर्ज की माफी, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने सहित अन्य मांग शामिल हैं।
– वर्ष 2016 में ही जुलाई में सूखे के हालात थे, लेकिन सितम्बर में वर्षा होने से कुछ राहत मिली थी।
– वर्ष 2015 में 20 जिलों की 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था।
– वर्ष 2014 में प्रदेश के कुछ जिलों में बाढ़ के हालात बने थे।
– वर्ष 2011 में प्रदेश के 4 जिलों की 14 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था।
– वर्ष 2010 में सरगुजा संभाग की तहसीलों में सूखे की स्थिति निर्मित हुई थी। सरकार को मदद करने के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी पड़ी थी।
– वर्ष 2009 प्रदेश के कुछ जिलों में अल्प वर्षा और खण्ड वर्षा के हालात बने थे।
डॉ. संकेत ठाकुर, किसान नेता
पूनम चंद्राकर, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा