scriptखुद की जान बच गयी लेकिन दुसरो की बचाने से कतरा रहे कोरोना संक्रमित, 15 प्रतिशत लोग ही प्लाज्मा डोनेशन को तैयार | Only 15 percent people are ready to donate plasma for covid patients | Patrika News
रायपुर

खुद की जान बच गयी लेकिन दुसरो की बचाने से कतरा रहे कोरोना संक्रमित, 15 प्रतिशत लोग ही प्लाज्मा डोनेशन को तैयार

कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन ने अपनी टीम से चर्चा कर निर्णय लिया कि जिला प्रशासन खुद स्वस्थ हो चुके कोरोना मरीजों से संपर्क करेगा, उनकी सहमति पर प्लाज्मा डोनेशन करने वालों की सूची बनाई जाएगी, ताकि किसी को जरुरत पड़े तो वे भटके नहीं। सीधे डोनेशन के लिए सहमति देने वालों से संपर्क कर सकें।

रायपुरOct 15, 2020 / 02:23 pm

Karunakant Chaubey

रायपुर. राजधानी रायपुर में 38 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 28,481 मरीज कोरोना को मात देकर सकुशल घर लौट चुके हैं। जब इन ठीक हो चुके लोगों में 8,100 को जिला प्रशासन की तरफ से फोन किया गया। पूछा कि आप कैसे हैं, तो बताया गया ठीक हैं। तो क्या आप प्लाज्मा डोनेट करना चाहेंगे? तो इनमें से सिर्फ 1,200 लोगों ने कहा- हां,। यानी 15 प्रतिशत से भी कम लोग मदद के लिए आगे आए हैं। यह स्थिति ठीक वैसे ही है जैसे- ब्लड डोनेशन को लेकर।

हालांकि राज्य सरकार की तरफ से आज दिनांक तक प्लाज्मा डोनेशन को लेकर कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। न ही इसे कारगर बताया गया। यहां तक की सरकारी अस्पताल में प्लाज्मा डोनेशन हो रहे हैं कि नहीं यह स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। मगर, रायपुर जिला प्रशासन से अगस्त-सितंबर में कई जरुरतमंदों की तरफ से प्लाज्मा डोनेशन से संबंधित जानकारी के लिए संपर्क किया गया।

प्रदेश में नए साल की शुरुआत में आ सकती है कोरोना वैक्सीन, 50 प्रतिशत आबादी को ‘दवा’ की है जरुरत

जिसके बाद कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन ने अपनी टीम से चर्चा कर निर्णय लिया कि जिला प्रशासन खुद स्वस्थ हो चुके कोरोना मरीजों से संपर्क करेगा, उनकी सहमति पर प्लाज्मा डोनेशन करने वालों की सूची बनाई जाएगी, ताकि किसी को जरुरत पड़े तो वे भटके नहीं। सीधे डोनेशन के लिए सहमति देने वालों से संपर्क कर सकें।

सरकार के पास प्लाज्मा डोनेशन से संबंधित रेकॉर्ड नहीं

शहर के निजी अस्पतालों में 2 ढाई महीने से प्लाज्मा डोनेशन के जरिए मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी दी जा रही है। मगर, स्वास्थ्य विभाग के पास इसका कोई रेकॉर्ड नहीं है। विभाग को यह तक नहीं पता कि कितने मरीज इस थैरेपी से स्वस्थ हुए और कितने नहीं।

प्लाज्मा डोनेशन से शरीर को नुकसान नहीं

‘पत्रिका’ ने प्लाज्मा डोनेट करने वाले शहर के 5 से अधिक लोगों से संपर्क किया। इनमें से हर एक का यही कहना था कि उन्हें कोई शारीरिक कमजोरी महसूस नहीं हुई। थकावट, सिरदर्द, बदन दर्द जैसी कोई शिकायत भी नहीं है। इनका कहना है कि यह ठीक ब्लड डोनेशन जैसा ही है। बस इसमें थोड़ा वक्त लगता है। इनमें तो दो कई 2-2 बार डोनेशन कर चुके हैं। गौरतलब है कि एक व्यक्ति से 200 एमएल प्लाज्मा ही लिया जाता है।

ऐसे मरीज जिन्हें प्लाज्मा की जरुरत है, उनके परिजन भटके नहीं, इसलिए प्रशासन ने डोनेशन की सहमति देने वाली की सूची तैयार करवाई है। जरुरतमंदों को 4 स्वस्थ हो चुके लोगों के नाम दिए जाते हैं। दोनों पक्ष आपस में बात कर लें। इससे ज्यादा जिला प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है।
-गौरव सिंह, सीईओ, जिला पंचायत रायपुर

Hindi News / Raipur / खुद की जान बच गयी लेकिन दुसरो की बचाने से कतरा रहे कोरोना संक्रमित, 15 प्रतिशत लोग ही प्लाज्मा डोनेशन को तैयार

ट्रेंडिंग वीडियो