Raipur Airport Parking : रायपुर के एयरपोर्ट में पार्किंग के लिए अब लगेगी इतनी फीस, हर मिनट के देने होंगे पैसे, जानिए पूरी डिटेल्स
सिकलसेल पीड़ित मरीज असहनीय पीड़ा से गुजरते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उनकी सही समय पर स्क्रीनिंग हो, बीमारी की पहचान हो ताकि तत्काल इलाज शुरू हो सके। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की स्क्रीनिंग कर रहा है। संस्थान की महानिदेशक डॉ. ऊषा जाेशी और सिकलेसल व ब्लड संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल का कहना है कि कई माता-पिता को पता होता है कि उनके बच्चों को सिकलसेल है, लेकिन शादी टल न जाए, इसलिए चुप रहते हैं। जागरुकता में कमी के चलते यह बीमारी बढ़ रही है। उधर जेल रोड स्थित पुराने सिकलसेल संस्थान की इमारत को तोड़कर नई 5 बिल्डिंग बनाई जाएगी। इसका प्रस्ताव जून 2021 में बनाकर शासन को भेजा जा चुका है।
नई सरकार अवैध जमीनों पर जल्द लेगी बड़ा एक्शन, 232 एकड़ जमीन में अतिक्रमण पर रोक लगाने जल्दी होगी कड़ी कार्रवाई
कैसे करें सिकलसेल मरीजों की पहचान शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन सिकलसेल के मरीज न हों, न ही वाहक हो। इसके लिए पंडितों को भी पहल करनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि कुंडली के साथ-साथ सिकलसेल कुंडली का भी मिलान करना चाहिए। इससे इस गंभीर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।
पहली बिल्डिंग में ओपीडी होगा व अन्य चैंबर होंगे। पैथोलॉजी लैब को-आर्डिनेटर रूम, डॉक्टर चेम्बर, मेडिसिन स्टोर, बैक साइड लॉबी, दूसरे बिल्डिंग में रिसर्च सेंटर होगा। तीसरे फ्लोर में कांफ्रेस रूम, ऑडिटोरियम, वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम, चौथे फ्लोर में रिहेबिलेशन सेंटर और पांचवे में टीचिंग ब्लॉक होगा। इसके साथ ही संस्थान के पीछे के हिस्से में 2 और बिल्डिंग बनाने की योजना है। इसमें स्टाफ क्वार्टर होंगे। इसमें 30 बेड की आईपीडी और ट्रेनिंग की सुविधा भी रहेगी।
सिकलसेल मरीज एक नजर में
– प्रदेश में सिकलसेल के मरीज 25 लाख के आसपास
– सेंट्रल इंडिया का पहला संस्थान। देश में केवल 3 से 4।
– बोन मैरो ट्रांसप्लांट 5 लाख से कम कीमत पर हो सकेगा। निजी में 8 से 16 लाख।
– अभी मरीजों का इलाज संस्थान में हो रहा है, लेकिन रिसर्च नहीं होने से प्रारंभिक इलाज ही। संस्थान के बनने के बाद रिसर्च होगा व मरीजों की स्टडी की जा सकेगी।
– स्टेमसेल थैरेपी से कैंसर के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। स्टेमसेल से मलहम बनाया जा रहा है, जिसका उपयोग इलाज के लिए किया जा रहा है।
– सेंटर में सिकलसेल के स्टेज से लेकर लोगों में बीमारी का क्या ट्रेंड है, इस पर रिसर्च किया जा सकेगा। इससे इलाज में आसानी होगी।
– रिसर्च होने से प्रदेश में सिकलसेल को बढ़ने से रोका जा सकेगा। लोगों में जागरूकता फैलाकर शादी के पहले कुंडली जांच पर जोर रहेगा।
– संस्थान में इलाज पूरी तरह फ्री होगा।