अभी सामान्य बीमारियों के लिए जनरल फिजिशियन हैं। बाकी बीमारियों के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद ली जाती है। प्रदेश के किसी भी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में बुजुर्गों के लिए अलग से विभाग नहीं है। नेहरू मेडिकल कॉलेज में यह विभाग से अलग से बना हुआ है। पीजी कोर्स के तहत एमडी जिरियाट्रिक मेडिसिन शुरू किया जाएगा। इसके लिए नेशनल मेडिकल कमीशन की मंजूरी जरूरी होगी।
इसके लिए 2022 में प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, लेकिन पर्याप्त फैकल्टी नहीं होने के कारण मंजूरी नहीं मिल पाई थी। फैकल्टी की भर्ती होने के बाद फिर से एनएमसी को नया प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। ताकि जब एनएमसी की टीम निरीक्षण के लिए आए तो पर्याप्त फैकल्टी के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़िया हो। ऐसे में मान्यता में भी आसानी होगी। प्रबंधन का कहना है कि प्रदेश में एमडी जिरियाट्रिक का कोर्स नेहरू मेडिकल काॅलेज में सबसे पहले शुरू हो, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
वर्तमान में एमडी में इंटरनल, मेडिसिन की हो रही पढ़ाई
जिरियाट्रिक विभाग के यूनिट हेड व प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा के अनुसार अभी मेडिसिन में एमडी इंटरनल मेडिसिन कोर्स की पढ़ाई हो रही है। पीजी में 17 सीटें हैं, जो मेडिकल कॉलेज के किसी विभाग में सबसे ज्यादा है। आने वाले 15 साल में छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी। इसलिए उनके इलाज के लिए अलग से विभाग बनाया जा रहा है। एनएमसी ने मेडिकल काॅलेजों को इसके लिए निर्देशित भी किया है। इलाज के लिए फैकल्टी तो रहेंगे, लेकिन जब तक विभाग में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू नहीं होगा, पीजी स्टूडेंट नहीं आएंगे। पीजी कोर्स शुरू होने के बाद ही आने वाले दिनों में जिरियाट्रिक मेडिसिन के विशेषज्ञ बढ़ेंगे। इसलिए विभाग में फैकल्टी की व्यवस्था कर पीजी कोर्स सबसे पहले शुरू करने की योजना बनाई गई है।
15 पदों पर भर्ती भी ताकि एमडी कोर्स हो सके शुरू
जिरियाट्रिक विभाग को पिछले साल शासन से मंजूरी मिल गई है। इस विभाग के लिए 15 पदों को मंजूरी दी गई है। इसमें एक प्रोफेसर, 2 एसोसिएट प्रोफेसर, 5 असिस्टेंट प्रोफेसर व रेसीडेंट डॉक्टर के सात पद शामिल है। इन पदों पर जल्द ही भर्ती की जाएगी। भर्ती के बाद पर्याप्त फैकल्टी होने के बाद पीजी कोर्स के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन को आवेदन किया जाएगा। आने वाले दिनों में प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में यह विभाग शुरू किया जाएगा। ताकि बुजुर्गों के इलाज के लिए पर्याप्त विशेषज्ञ डॉक्टर निकल सके।