दोपहर 1.40 बजे के आसपास खारुन नदी की लहरें 30 साल पुरानी पुल के ऊपर तक हिलोरे मारने लगी थीं। वहीं खारुन के विसर्जन घाट के खाली मैदान से लेकर पाथवे और महादेवघाट तरफ की सीढियों के ऊपरी सतह पूरी तरह से जलमग्न रहे। खारुन के विकराल स्वरूप को देखते हुए नाविकों ने नाव बेरिकेड्स के बाहर रख दिए।
भाठागांव-खुरमुड़ा घाट पुल के करीब जलमग्न
भाठागांव-खुरमुड़ा घाट पुल का पूर्वी हिस्सा पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। उसके आसपास के बाडि़यां दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही थीं। लेकिन पुल से आवागमन जारी रहा। 70 वषीय सुखदेव साहू ने बताया कि पांच से छह साल पहले एेसा ही नजरा देखने को मिला था। उस दौरान नदी का विसर्जन घाट पूरी तरह से डूब गया था।