आंबेडकर अस्पताल के बाहर हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने ऊपर पोस्टर टांग रखा था। इस पर लिखा था, क्या हुआ तेरा वादा! दरअसल, जूडा लंबे समय से एम्स की तर्ज पर स्टायपेंड दोगुना करने और बॉन्ड की अवधि कम करने की मांग कर रहा है। इसी साल जनवरी में इसे लेकर बड़ी हड़ताल भी हुई थी। तब डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने अनुपूरक बजट में मांगें पूरी करने की बात कही थी। लेकिन, ऐसा नहीं हआ। इसके बाद आक्रोशित जूडा एक बार फिर हड़ताल पर चला गया है। इधर, जूनियर डॉक्टरों के ड्यूटी पर न होने से ओपीडी में सीनियर डॉक्टरों पर दबाव बढ़ गया। इससे मरीजों को जांच के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। गंभीर मामलों में कई को मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों का रूख करना पड़ा।
नर्सिंग एसोसिएशन ने भी एक घंटे काम ठप कर प्रदर्शन किया नर्सिंग ऑफिसरों ने भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मंगलवार को अस्पतालों के बाहर सुबह 9 से 10 बजे तक प्रदर्शन किया। नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. रीना राजपूत ने कहा कि इस तरह हम 2 दिन और प्रदर्शन करेंगी। सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो 21 अगस्त से हम भी बेमियादी हड़ताल पर जाएंगी।
मांगें पूरी करने के लिए जूनियर डॉक्टरों का 24 घंटे का अल्टीमेटम आज सुबह खत्म जूनियर डॉक्टरों ने इससे पहले लगातार एक हफ्ते तक काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपनी नाराजगी जताई थी। मंगलवार को हड़ताल के पहले दिन भी केवल ओपीडी में ड्यूटी नहीं की। इसके पीछे यही संदेश है कि जूनियर डॉक्टरों की मांगें पूरी कर ली जाएं। वे खुद भी पूरी तरह से हड़ताल पर नहीं जाना चाहते हैं। जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को भी बाधित करने की चेतावनी दी है। इसके लिए सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था, जिसकी मियाद बुधवार सुबह 8 बजे से खत्म हो रही है। यानी सुबह तक मांगें पूरी नहीं हुईं तो आज से इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित होंगी।