बूढ़ातालाब का नाम इसलिए विवेकानंद सरोवर
डे भवन से करीबन आधा किमी दूर बूढ़ातालाब है, जहां विवेकानंद स्नान करते थे। इसलिए इस सरोवर का नामकरण विवेकानंद के नाम पर किया गया। सरोवर के बीच स्थित बगीचे में विवेकानंद की विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है। लेकिन, डे भवन में विवेकानंद से जुड़े किसी स्मृतिचिह्न का अब भी इंतजार है।
डे परिवार और ट्रस्ट
रायबहादुर भूतनाथ डे चेरिटेबल ट्रस्ट वर्ष 1994 से डे भवन में हरिनाथ अकादमी नाम से स्कूल चला रहा है। यह भवन रायबहादुर भूतनाथ का ही था और उनके समय ही विवेकानंद का परिवार यहां रहता था। यह दो मंजिला खपरैल वाला भवन है। भूतनाथजी के बेटे हरिनाथ थे और हरिनाथजी की बेटी आभा व दामाद निखिल रंजन बोस इस भवन के अंतिम मालिक थे। बोस ने संपत्ति की देखरेख के लिए ट्रस्ट बनवा दिया। दो वर्ष पहले ही उनका निधन हुआ है।
पहले लगी थी सूचना पट्टिका
जानकार बताते हैं कि डे भवन में पहले यह पट्टिका लगी थी कि विवेकानंद का परिवार यहां कब से कब तक रहा था, लेकिन अब वह पट्टिका हटाई जा चुकी है। इस भवन में विवेकानंद का एक फोटो तक नहीं लगा है। हालांकि अब भी भवन में रायबहादुर भूतनाथ डे व विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त की प्रतिमा स्थापित है।
सीएम डॉ. रमन सिंह भी आ चुके हैं यहां
रायपुर के डे भवन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी आए थे। यहां स्मारक बनाने की चर्चा चली थी, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार ने कुछ भी नहीं किया है। ट्रस्ट से जुड़े लोग मुख्यमंत्री की उस यात्रा और उसके मकसद को याद करना नहीं चाहते। विवेकानंद का नाम सुनकर या पढ़कर यहां आने वालों को केवल निराशा हाथ लगती है।