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रायपुर

सावधान ! इस कीड़े के लार में होती है खतरनाक जीवाणु, काटने से हो रही ये गंभीर बीमारियां…जानें इसके लक्षण

Health Alert: शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों स्क्रब टाइफस के मामले देखे जा रहे हैं। यह एक कीड़े के काटने से होता है।

रायपुरSep 06, 2023 / 12:34 pm

Khyati Parihar

Scrub typhus disease caused by insect bite

कीड़े के काटने से हो रही स्क्रब टाइफस की बीमारी

Scrub Typhus: रायपुर। शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों स्क्रब टाइफस के मामले देखे जा रहे हैं। यह एक कीड़े के काटने से होता है। यह बीमारी ज्यादातर पहाड़ी और जंगली इलाकों में होती है। राजधानी के अस्पतालों में पिछले कुछ दिनों में इसके 8 से 10 केस (Raipur News) आ चुके हैं। एम्स अस्पताल में इसके चार केस पहुंच चुके हैं।
एम्स में 20 दिन में 8 से 10 मरीज मिले, बच्चों को किया भर्ती

Health Alert: बड़ी बात यह है कि इसमें दिमाग, फेफड़ा, दिल, लिवर को भी प्रभावित करने की क्षमता होती है। एम्स अस्पताल पिछले करीब 20 दिनों में स्क्रब टाइफस के 8 से 10 मरीज अस्पताल में आ चुके हैं। कुछ बच्चों को भर्ती करने की भी जरूरत पड़ी और कुछ को ओपीडी में इलाज दिया गया। स्क्रब टाइफस जिस कीड़े के काटने से होता है वह ज्यादातर पहाड़ी इलाकों या फिर जिन जगहों पर जंगल, घास-फूस ज्यादा होती है, वहां पाए जाते हैं। अगर इसे समय से पहचान लिया जाए और ट्रीटमेंट करवा लिया जाए तो यह बेहद जल्दी ठीक हो जाता है। अगर देर कर दी जाए तो इसमें मृत्युदर भी काफी ज्यादा है।
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यह है स्क्रब टाइफस

यह एक कीड़े के काटने से होता है। इस कीड़े की लार में खतरनाक जीवाणु ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी होता है। जब यह काटता है तो इसकी लार में मौजूद जीवाणु ब्लड में फैल जाता है और इसका असर बॉडी के कई हिस्सों में देखने को मिलता है।
पहचान नहीं होने पर 10 से 20 प्रतिशत मृत्यु दर

अहम बात यह है कि स्क्रब टाइफस में ब्रेन, लंग्स, हार्ट, लिवर और किडनी जैसे प्रमुख अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। अभी अस्पताल में इससे ग्रस्त (Health News) बच्चे एडमिट हैं। डॉ. अनिल का कहना है कि उनके पास स्क्रब टाइफस का एक ही केस आया है।
पार्क में जहां पर घास वगैरह ज्यादा होती है या फिर कई बार ओपन लॉन में जो शादियां होती हैं, वहां भी स्क्रब टाइफस के होने के चांस रहते हैं। इसकी पहचान करने में तीन से चार दिन का समय लगता है। इलाज से यह ठीक हो जाता है। समय से बीमारी की पहचान ना होने पर 10 से 20 प्रतिशत मृत्यु दर देखी गई है। साथ ही यह ब्रेन को भी तेजी से प्रभावित करता है।
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बाहरी राज्यों से आए केस

शरीर में ब्लैक स्पॉट दिखे तो नजरअंदाज न करें बारिश के दिनों में इस तरह के केस देखे जा रहे हैं। शहर में मामले देखने को मिले हैं। सबसे ज्यादा केस जगदलपुर, कांकेर और धमतरी से आ रहे हैं। हालांकि इस संक्रमण का इलाज ज्यादा महंगा नहीं है। लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है। समय पर इलाज मिले तो कोई दिक्कत नहीं होती। – डॉ. ओपी सुंदरानी, विभागाध्यक्ष, क्रिटिकल केयर विभाग

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