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पत्रिका ने अपनी जांच-पड़ताल में पाया कि राजधानी में 25 से 30 फीसदी सामानों के नकली होने की आशंका है। हिंदुस्तान यूनीलीवर के अधिकृत सूत्रों के मुताबिक एफएमसीजी सेक्टर में 10-15 अलग-अलग ब्रांड में हर महीने का व्यवसाय लगभग 100 करोड़ का है, लेकिन इसमें 25 से 30 करोड़ के डुप्लीकेट सामानों की सप्लाई की जा रही है। यह पूरा खेल राजधानी के थोक बाजारों से संचालित हो रहा है, जिसमें डूमरतराई थोक बाजार, गोलबाजार और गुढिय़ारी थोक बाजारों में सघन जांच होनी चाहिए। ग्राहकों को ब्रांडेड के नाम पर घटिया सामान बेचे जा रहे हैं। इन बाजारों में जीएसटी बिलों के साथ मासिक रिटर्न की जांच होनी चाहिए।कंपनी के इंटेलीजेंस विंग से मिला पुलिस को क्लू : जैसिंघ
कंपनी के छत्तीसगढ़ के अधिकृत वितरक ललित जैसिंघ ने बताया कि डूमरतराई, गोलबाजार और गुढिय़ारी थोक बाजारों से नकली सामानों का नेटवर्क पूरे प्रदेश के साथ महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, ओडि़शा और झारखंड तक फैले होने की आशंका है। मामले की जानकारी होने पर हिंदुस्तान यूनिलीवर के इंटेलीजेंस विंग के 6 सदस्यीय टीम ने दिल्ली हाईकोर्ट से अनुमति लेकर पुलिस के साथ कार्यवाही की, जिसके बाद राजधानी में गोपनीय तरीके से नकली सामान निर्माण स्थल पर दबिश दी गई। हमारी मांग है कि आम ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को इस मामले पर ठोस कार्यवाही करनी चाहिए।
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पहचानना काफी मुश्किल, इसलिए पक्का बिल मांगे
कंपनी अधिकारियों के मुताबिक असली और नकली सामानों को पहचानना ग्राहकों के लिए काफी मुिश्कल है, क्योंकि जब्त सामानों की पैकेजिंग हू-ब-हू असली जैसी हो रही है, वहीं इसके साथ ही इसमें बैच नंबर, बार कोड, कस्टमर केयर आदि नंबर भी लिखे जा रहे हैं। कंपनी का कहना है कि ऐसे सामानों की खरीदारी अधिकृत डीलर, एजेंसी या बड़े शॉपिंग मॉल, मिनी शॉपिंग मॉल और मल्टीस्टोर रिटेल से करनी चाहिए और बिल जरूर लें, क्योंकि नकली सामानों की खरीदी-बिक्री बिना बिल के हो रही है।
छग में एफएमसीजी सेक्टर में व्यवसाय
महीना- 100- 120 करोड़
राजधानी में 50-60 करोड़
सालाना टर्नओवर-1000-1400 करोड़ (प्रदेश में)
कंपनियां- 10-15