इस लोकसभा चुनाव (Lok sabha election 2024) में भी सामान्य वर्ग की तीन सीटों पर सीधा मुकाबला ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों के बीच होगा। यानी यह तय है कि इस बार कम से कम तीन सांसद ओबीसी वर्ग से ही चुने जाएंगे। बता दें कि राज्य में वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 3 करोड़ 22 लाख है। पूर्ववर्ती सरकार के समय हुए सर्वे के आधार पर ओबीसी वर्ग की संख्या 41 फीसदी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों पार्टियां इस बार जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों को टिकट दे रही है।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद तीन बार सामान्य वर्ग की सीट से एसटी वर्ग के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं। इसमें दो बार प्रदेश के सीएम रहे अजीत जोगी थे। उन्होंने वर्ष 2004 और वर्ष 2014 में महासमुंद सीट से लोकसभा का चुनाव (Lok sabha election) लड़ा। इसके अलावा उनकी पत्नी डॉ. रेणु जोगी को भी बिलासपुर लोकसभा सीट (Bilaspur Lok sabha seat) से प्रत्याशी बनाया गया था। महासमुंद और बिलासपुर लोकसभा सामान्य वर्ग की सीट है।
रायपुर लोकसभा क्षेत्र (Raipur Lok Sabha constituency) में भी ओबीसी वर्ग का दबदबा रहा है। राज्य निर्माण के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब रायपुर लोकसभा सीट (Raipur Lok Sabha seat) में सामान्य वर्ग के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। भाजपा ने अपने वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को और कांग्रेस ने पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतरा है। जबकि इसके पहले रायपुर लोकसभा सीट से लगातार भाजपा के रमेश बैस चुनाव जीते आए हैं। वो ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब बैस की टिकट कटी को उनकी जगह भाजपा ने सुनील सोनी को प्रत्याशी बनाया। सोनी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं और चुनाव जीतने भी सफल रहे। राज्य निर्माण के बाद पहली बार रायपुर से सामान्य वर्ग का प्रत्याशी सांसद बनेगा।
वर्तमान में जांजगीर-चांपा लोकसभा की सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी। यहां से भाजपा ने करुणा शुक्ला और कांग्रेस ने चरणदास महंत को अपना प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद हुए परिसीमन में आरक्षित सीटों की संख्या भी बढ़ी।
लोकसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग हमेशा से चुनौती देते आया है। ऐसा बहुत कम हुआ है, जब ओबीसी और सामान्य वर्ग के बीच हुए मुकाबले में ओबीसी वर्ग का प्रदर्शन निराशाजनक हो। हालांकि शुरुआती दौर में उपिस्थति दमदार नहीं थी। वर्ष 2004 के चुनाव में सामान्य वर्ग के लिए 5 सीट आरक्षित थी। इनमें से कांग्रेस-भाजपा ने चार ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को मौका दिया था। इनमें से दो ही चुनाव जीत कर आए थे। वर्ष 2009 में छह को मौका मिला और चार जीते। वर्ष 2014 में सात को मौका मिला और पांच जीते। वर्ष 2019 में आठ आठ को मौका मिला और पांच चुनाव जीतने में सफल हुए थे।