रायपुर. मध्यप्रदेश से अलग राज्य गठन के बाद हमने बहुत कुछ पाया है और अभी बहुत कुछ पाना शेष है। आज समय है कि हमें अपनी संपन्नता बढ़ाने के लिए अपनी ताकतों का पूरा इस्तेमाल करने का। तो आज आइए जानते हैं, छत्तीसगढ़ की तीसरी शक्ति , जिनसे छत्तीसगढ़ बनता है, जो छत्तीसगढ़ की पहचान हैं..
छत्तीसगढ़ में अब भी 44 फीसदी हिस्से में जंगल है, जब देश में अंधाधुंध ढंग से जंगलों की कटाई हो रही है, तब भी छत्तीसगढ़ के जंगल पूरी भव्यता के साथ विराजमान हैं। छत्तीसगढ़ की एक बड़ी पहचान यहां मौजूद जंगलों की वजह से ही है। प्रदेश के 24036.1 वर्ग किलोमीटर हिस्से में 40.22 फीसदी हिस्से पर संरक्षित वन मौजूद है, जबकि 9945.122 हिस्से में 16.65 फीसदी अवर्गीकृत वन है।
प्रदेश में वन का सबसे बड़ा हिस्सा माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा में है, जबकि सबसे कम ऊर्जा नगरी के रूप में विख्यात कोरबा में है। सरगुजा और जशपुर के एक बड़े हिस्से में भी ठीक-ठाक वन हैं। यहां के वन मिश्रित हैं। प्रदेश में साल, साजा, बीजा, खम्हार, तेंदू, हर्रा, सेमल, बांस और अर्जुन के पेड़ हर तरफ मौजूद हंै।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अफसर अरूण पाण्डेय का कहना है कि जहां भी वन होते हैं, वे जीवन देने का काम ही करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के वन जीवन को बेहतर बनाने में भी उपयोगी साबित होते हैं। प्रदेश की एक बड़ी आबादी वन ग्राम या उसके आसपास गांवों में निवास करती है। इन ग्रामों में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता, सालबीज, हर्रा, महुआ सहित अन्य वनोपज को एकत्रित कर अपना जीवनयापन चलाते हैं। पाण्डेय का कहना है कि बस्तर के एक बड़े हिस्से में जड़ी-बूटियों की बहुलता है।
सरकार अब जड़ी-बूटियों को प्रोसेस करने में भी लगी है। वैसे वनों की ठीक-ठाक मौजूदगी का परिणाम यह है कि यहां तीन राष्ट्रीय अभयारण्य और अचानकमार, बादलखोल, भैरमगढ़, बारनवापारा, गोमर्डा, समरसोत, तोमर पिंगला और भोरमदेव सहित कुल 11 अभयारण्य हैं। वनों और जंगली जानवरों का अंतर्संबंध थोड़ा खराब हुआ है, फलस्वरूप हाथियों का उत्पात भी समय-असमय देखने को मिलते रहा है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि जिन इलाकों में बेतहाशा कोल खनिज है, वहां पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर पेड़ों की कटाई की गई है। बहरहाल जब कभी भी दूर-दराज के देसी-विदेशी पर्यटक छत्तीसगढ़ को देखने या जानने-समझने के लिए आते हैं, तो एक प्रमुख वजह घने वन को होना भी बन जाता है। यहां का वन आकर्षित करता है और यादों में बस जाता है।
Hindi News / Raipur / Rajyotsava 2017: यहां घनघोर वनों के बीच है एेसा जीवन, जो प्रदेश को दिलाती है अलग पहचान