टुकड़ों में हो चुका है बेजा कब्जा
सिलतरा, उरकुरा क्षेत्र के कई इकाइयों ने पत्रिका से चर्चा करते हुए यह खुलासा किया गया कि 500 वर्गफीट से लेकर 20 हजार वर्गफीट जो आवंटन के बाद टुकड़ों में बची हुई थी, वह जमीन मिलीभगत की भेंट चढ़ चुकी है। इस तरह करीब दो सौ से तीन सौ करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान राज्य शासन के उद्योग विभाग को हो रहा है। क्योंकि इकाइयों को आवंटित करने के बाद टुकड़ों में बचे हुए रकबा का सीएसआईडीसी के अधिकारी न तो संबंधित इकाइयों से मुक्त कराने में दिलचस्पी दिखाते है, न ही वर्तमान दर पर उनसे उस जमीन की कीमत वसूल कर रहे हैं।
25 से 30 आवेदन पेंडिंग में डाल दिए
सीएसआईडीसी के मुताबिक छोटे-छोटे टुकड़ों में बची जमीन लेने वाली कई इकाइयों के आवेदनों को पेंडिंग में डाल दिया गया है। ऐसे 25 से 30 इकाइयों ने कई वर्षों से आवेदन दे रखा है, जिनके आवेदनों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। दूसरी तरफ अमले की मिलीभगत से जिन लोगों ने अपने-अपने इकाइयों के सामने टुकड़ों में बची हुई जमीन को कब्जा चुके हैं, उसे खाली कराने के बजाय जिम्मेदार उस पर पर्दा डालने में भी नहीं हिचकिचा रहे हैं।
पिछले 10 वर्षों से सर्वे तक नहीं कराया
सिलतरा, उरकुरा, सोनडोंंगरी, गोंदवारा तथा तिल्दा के करीब सीएसआईडीसी की जमीन है, जिसे इकाइयों को आवंटित किया जाता है। विभाग के अनुसार करीब 200 इकाइयों को आवंटन करने के बाद टुकड़ों में बची हुई जमीन का पिछले 10 वर्षों से सर्वे नहीं कराया। विभागीय फाइल में ही बचे हुए रकबे को संजोकर रखा गया है। मैदानी स्तर पर इन जगहों में आवंटन रकबा के अलावा बचे हुए रकबा नंबरों का चिह्नांकन मिलीभगत के भेंट चढ़ता जा रहा है।
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