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रायपुर

इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाले मीसा बंदियों को अब पेंशन नहीं देगी सरकार, सम्मान निधि नियम निरस्त

भाजपा ने आपातकाल का विरोध करते हुए जेल गए लोगों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए मासिक सम्मान निधि का फैसला लिया था। ५ अगस्त २००८ को इसका कानून बनाया गया। इसके तहत 6 महीने से कम जेल में रहने वालों को 3 हजार और 6 महीने से अधिक जेल में रहने वाले मीसाबंदियों को 6 हजार रुपए प्रतिमाह सम्मान निधि देनी शुरू हुई।

रायपुरJan 23, 2020 / 07:46 pm

Karunakant Chaubey

इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की  रक्षा करने वाले मीसा बंदियों को अब पेंशन नहीं देगी सरकार, सम्मान निधि नियम निरस्त

इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की रक्षा करने वाले मीसा बंदियों को अब पेंशन नहीं देगी सरकार, सम्मान निधि नियम निरस्त

रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार मीसा बंदियों को पेंशन नहीं देगी। इसके लिए लोकनायक जयप्रकाश (मीसा-डीआईआर राजनैतिक व सामाजिक कारणों से निरूद्ध व्यक्ति) सम्मान निधि नियम-2008 को ही रद्द कर दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरुवार को इसकी अधिसूचना का प्रकाशन राजपत्र में भी कर दिया। इसके प्रकाशन के साथ ही आपातकाल विरोधी आंदोलन के समय जेल गए करीब 320 राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को हर महीने मिलने वाली सम्मान निधि बंद हो जाएगी।

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भाजपा ने आपातकाल का विरोध करते हुए जेल गए लोगों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए मासिक सम्मान निधि का फैसला लिया था। ५ अगस्त २००८ को इसका कानून बनाया गया। इसके तहत 6 महीने से कम जेल में रहने वालों को 3 हजार और 6 महीने से अधिक जेल में रहने वाले मीसाबंदियों को 6 हजार रुपए प्रतिमाह सम्मान निधि देनी शुरू हुई।
वर्ष २०१७ के बाद से मीसाबंदियों को 15 से 25 हजार रुपए प्रतिमाह मिल रहा था। फरवरी 2019 में राज्य सरकार ने सम्मान निधि पाने वालों का भौतिक सत्यापन व सम्मान निधि कीभुगतान प्रक्रिया को फिर से निर्धारित करने का हवाला देकर इसके वितरण पर रोक लगा दिया था।
प्रभावित मीसाबंदियों ने उच्च न्यायालय में इसको चुनौती दी थी। इसी महीने उच्च न्यायालय ने सरकार को सम्मान निधि जारी करने का आदेश दिया था। बताया जा रहा है, कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य सरकार ने उस नियम को ही रद्द कर दिया जिसके तहत यह सम्मान निधि दी जानी थी।
मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार है और वहां सम्मान निधि दी जा रही है। यहां की सरकार वंशवाद को खुश करने में लगी है। यह लोकतंत्र की हत्या है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
– सच्चिदानंद उपासने, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, लोकतंत्र सेनानी संघ

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