छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि इस नुकसान की जिम्मेदारी सरकार की शुल्क वृद्धि और उत्पादन रोकने वाले उद्योग पर आती है। उद्योगों की हड़ताल और आगे बढ़ी तो नुकसान और ज्यादा बढ़ता जाएगा। इससे केवल राजस्व का नुकसान ही नहीं बल्कि रोजगार भी प्रभावित होंगे और उत्पादन प्रभावित होने से बाजार में शार्टेज की स्थिति भी पैदा होगी।
मुख्यमंत्री विष्णदेव साय के साथ 2 अगस्त को बिजली की दरों को लेकर फिर से बैठक होने वाली है। समस्या का निराकरण नहीं होने और हड़ताल आगे बढ़ने से लगातार नुकसान बढ़ता जाएगा। बता दें कि विद्युत विभाग द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी के विरोध में प्रदेश के 150 से ज्यादा मिनी स्टील प्लांट और फेरो एलायस फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है।
नुकसान की भरपाई करना मुश्किल
स्टील एवं सरिया कारोबारियों का कहना है कि पिछले दो दिनों में उत्पादन नहीं होने से देशभर में अन्य राज्यों का लोहा की बिक्री बढ़ी है। लोहा गलाने की भठ्टी के बंद होने से इसे दोबारा शुरू करने में अतिरिक्त बिजली के साथ ही उत्पादन में समय लगेगा। उद्योगपतियों का कहना है कि बढ़ी हुई बिजली दरों के कारण वे पड़ोसी राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा भी नहीं कर पा रहे है। शासन को चाहिए कि जल्द से जल्द इसका समाधान निकाले और बढ़ी हुई बिजली दर वापस लें। उनका कहना है कि हड़ताल के चलते अब जो स्टील उत्पादन नहीं हो रहा है, उसे बाद में पूरा नहीं किया जा सकता। इस नुकसान की भरपाई करना मुशकिल है।