छत्तीसगढ़ के डंगनिया और जरवाय इलाकों में
गोबर पेंट की प्लांट मशीनें बंद हैं, जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है। डंगनिया स्थित जय लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की दुकान पर ताला लगा हुआ है और जरवाय के पेंट प्लांट में भी कोई गतिविधि नहीं हो रही है।
उत्तरप्रदेश में गोबर से कई उत्पादों का निर्माण
उत्तरप्रदेश में गोबर से पेंट, खाद, दीये, अगरबत्ती और यहां तक कि निर्माण सामग्री जैसे ईंटें भी बनाई जा रही हैं। यहां की गोठानों में गोबर से उत्पाद बनाकर सरकारी योजनाओं के तहत बेचा जा रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार का सृजन हो रहा है। वहीं, छत्तीसगढ़ में गोबर पेंट का उत्पादन रोक दिए जाने से स्थानीय महिलाओं के रोजगार पर संकट आ गया है। डंगनिया और जरवाय के स्व-सहायता समूहों का कहना है कि मांग होने के बावजूद गोबर पेंट का उत्पादन बंद पड़ा है, क्योंकि गोबर की खरीदी रुक गई है।
वर्मी कम्पोस्ट और दीये का निर्माण
गोबर पेंट का उत्पादन बंद होने के बाद स्व-सहायता समूह अब गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बना रही हैं, जिसे सरकार खरीद रही है। हालांकि, पेंट निर्माण से होने वाली आमदनी के मुकाबले वर्मी कम्पोस्ट से मिलने वाली आमदनी बहुत कम है। डंगनिया की महिलाओं ने बताया कि दीयों की थोड़ी-बहुत मांग है, इसलिए वे दीयों का निर्माण कर रही हैं।
आशा और भविष्य की योजना
महिलाएं उम्मीद कर रही हैं कि जल्द ही गोबर की खरीदी शुरू होगी और पेंट निर्माण फिर से चालू होगा। वे चाहती हैं कि राज्य सरकार गोबर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं लागू करे, ताकि उन्हें रोजगार मिले और वे आत्मनिर्भर बन सकें। गोबर से बने उत्पादों की मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ में गोबर पेंट और अन्य उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल सके।
5000 लीटर से अधिक पेंट का उत्पादन, अब बंद
CG News: पिछले साल जरवाय गोठान से 5000 लीटर से भी अधिक गोबर पेंट का उत्पादन किया गया था और इसकी अच्छी बिक्री हुई थी। इसके चलते स्व-सहायता समूह की महिलाओं को न केवल
रोजगार मिला, बल्कि उन्हें सम्मान भी मिला।