शनिवार को पिता और बेटी का एक साथ
अंतिम संस्कार हुआ। एक घर से दो अर्थियां देखकर लोगों के आंसू निकल आए। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार रात फुलकुमारी अग्रवाल ( 30) और आंचल अग्रवाल (26) ने रात करीब 9 बजे डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के पास शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन के सामने कूद गईं थीं। इससे आंचल की मौके पर ही मौत हो गई थी। फुलकुमारी गंभीर रूप से घायल है। उनके दोनों पैर, कंधे में गंभीर चोट है।
पिता-बेटी की साथ अंतिम यात्रा
आंचल के शव का पोस्टमार्टम के लिए बाद परिजनों को सौंप दिया गया। आंचल और उनके पिता की अंतिम यात्रा एक साथ घर से निकली, तो मोहल्ले वालों के आंखों से आंसू आ गए। दोनों का अंतिम संस्कार कोटा श्मशान घाट में किया गया। इंटर्नशिप कर रही थी आंचल
आंचल ने दुर्गा कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की थी। एलएलबी फाइनल करने के बाद
रायपुर कोर्ट में इंटर्नशिप करते हुए वकालत की प्रेक्टिस कर रही थी। नितिन के मुताबिक आंचल और फुलकुमारी अपने पिता का काफी ध्यान रखती थीं। दोनों को पिताजी से काफी लगाव था।
एक साथ दो की मौत, टूट गया परिवार
एक ओर नितिन अस्पताल में अपने पिता के शव को घर ले जाने की तैयारी कर रहा था, उसी समय खमतराई थाने से उन्हें कॉल् आया कि उनकी दोनों बहनें ट्रेन से कट गई हैं। यह खबर सुनते ही नितिन सदमे में आ गए। अस्पताल में पिता का शव और दूसरी एक और बहन की मौत की सूचना। एक ही दिन पिता और बहन की मौत से पूरा परिवार सदमे में था। बड़ी बहन की भी हालत गंभीर बनी हुई हैं।
मां को देखने के नाम से निकले थे
गोंदवारा निवासी विजय अग्रवाल(करीब 60 साल) सांस संबंधित बीमारी से पीड़ित थे। उनका इलाज चल रहा था। तीन-चार दिन पहले उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें एस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार की शाम को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उस समय अस्पताल में फुलकुमारी और आंचल दोनों थे। पिता की मौत से दोनों को काफी दुख हुआ। अपने भाई नितिन अग्रवाल से घर में मां को देखने जाने का बोलकर दोनों बाहर निकले। नितिन अस्पताल में पिता के शव को घर ले जाने के लिए कागज तैयार करवा रहे थे। इस दौरान दोनों बहनें खमतराई पहुंच गई। उन्होंने अपना मोबाइल भी बंद कर दिया। इसके बाद ट्रेन के सामने कूद गई। थोड़ी देर बाद नितिन ने उन्हें फोन लगाया, तो मोबाइल बंद मिला।