आंबेडकर अस्पताल में चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ. आरके पंडा व फेफड़े के सर्जन तथा कार्डियक सर्जरी के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार जो लोग दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उन्हें कोरोना होने के बाद मौत का रिस्क ज्यादा रहता है। जिन्हें कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कम रिस्क रहता है, लेकिन समय पर जांच व इलाज नहीं होने से मरीज गंभीर हो सकता है। कोरोना का वायरस नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और सीधे फेफड़ों को संक्रमित करता है। यह बीमारी फेफड़ों में दाग कर देता है। वायरस का ज्यादा संक्रमण होने पर फेफड़े ठोस होने लगते हैं।
Chhattisgarh Corona Alert: सामान्यत: यह स्पंज की तरह होता है। जब फेफड़े ठोस हो जाते हैं, तब सांस लेने में दिक्कत होती है। जब व्यक्ति सांस नहीं ले पाता तो शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। इससे ब्लड में ऑक्सीजन भी मिक्स नहीं हो पाता। इससे हार्ट समेत दूसरे अंग काम करना बंद कर देते हैं। मरीज शॉक में चला जाता है और अंतत: मौत हो जाती है।