CG CAA News: रायपुर के लिए सबसे ज्यादा आवेदन
अब तक मिले आवेदनों में रायपुर में रहने के इच्छुक वाले ज्यादा हैं। इसके बाद बलौदाबाजार जिला है। बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई के भी कुछ आवेदन बताए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सीएए लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ में मई माह से ऑनलाइन आवेदन लेना शुरू कर दिया गया था।
(citizenship) अधिकारियों के मुताबिक मई से अगस्त तक 100 से ज्यादा विदेशियों ने छत्तीसगढ़ में आने के लिए आवेदन दिया है। इनमें से कुछ लोगों को नागरिकता मिल गई है।
100 से ज्यादा लोगों ने मांगी नागरिकता
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू होते ही भारत की नागरिकता लेकर छत्तीसगढ़ में बसने के लिए कई विदेशी कतार में हैं। आलम ये है कि पिछले चार माह में ही 100 से ज्यादा लोगों ने नागरिकता लेने आवेदन कर दिया है। आवेदन करने वालों में सबसे ज्यादा पाकिस्तान के लोग हैं। बाकी दूसरे देशों के हैं। सभी ने ऑनलाइन आवेदन किया है। इन आवेदनों की जांच के लिए रायपुर में संभाग स्तरीय टीम बनाई गई है। टीम में अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल हैं। आवेदन करने वाले ज्यादातर पाकिस्तान में रहने वाले
रायपुर नोडल ऑफिसर सीएए, हरीश कुमार महावर ने पत्रिका को बताया कि आवेदन करने वालों के दस्तावेजों की जांच के बाद आईबी की टीम जांच करती है। इसके बाद छत्तीसगढ़ जनगणना विभाग की ओर से नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
संभाग स्तर पर हैं नोडल अधिकारीसीएए के तहत नागरिकता देने के लिए संभाग स्तरीय नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। जो आवेदनों और दस्तावेजों की जांच करते हैं।
(CAA in Chhattisgarh) रायपुर संभाग में रायपुर, बलौदाबाजार, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद जिलों के लिए आने वाले आवेदन लिए जा रहे हैं।
आवेदन करने वाले ज्यादातर पाकिस्तान में रहने वाले हैं। ऑनलाइन आवेदन करने वालों के दस्तावेजों की जांच के बाद आईबी को भेजा जाता है। उनकी जांच के बाद ही नागरिकता दी जाती है। नागरिकता लेने के लिए 100 से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं।
क्या है CAA ?
CG CAA News: नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (सिटीजीनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019) के तहत वर्ष 1955 के नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गई है कि 31 दिसंबर 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी। इस विधेयक में भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवश्यक 7 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त में भी ढील देते हुए इस अवधि को केवल 5 वर्ष किया गया है।