CG Accident: 1 अगस्त 2024 को उनकी 20 वर्षीय बेटी श्रेष्ठा सतपथी की एक दर्दनाक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। श्रेष्ठा, जो डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी और नीट परीक्षा में अच्छी रैंक भी हासिल कर चुकी थी। हादसे के दिन वह अपने पिता के लिए दवाई लेने निकली थी। तेलीबांधा के पास सर्विस रोड पर तेज गति और लापरवाही से विपरीत दिशा से आ रही कार (क्रमांक सीजी-14-एमपी-0686) ने उनकी स्कूटी को टक्कर मार दी।
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार के अनुसार उसकी मौत अंदरूनी चोटों और अत्यधिक खून बहने के कारण हुई। परिवार ने हादसे की जांच सीआईडी से कराने की मांग की है।
CG Accident: न्याय के लिए दर-दर भटक रहा परिवार
प्रेस कांफ्रेंस में श्रेष्ठा के पिता आभास कुमार सतपथी का कहना है कि घटना के 40 दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने
पुलिस पर गंभीरता से मामले की जांच न करने और राजनीतिक दबाव में आकर काम करने का आरोप लगाया है। सतपथी का कहना है कि एक्सीडेंट के आरोपी को जल्द ही जमानत मिल गई और दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी को भी जल्दी छोड़ दिया गया, जिससे साफ है कि जांच को प्रभावित किया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच सीआईडी से कराई जाए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और उनकी बेटी को न्याय मिल सके।
समाज और सिस्टम पर सवाल
आभास सतपथी और उनका परिवार अपनी
बेटी को खो चुके हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उनका कहना है कि जब तक सिस्टम की लापरवाही जारी रहेगी, निर्दोष लोग इसी तरह पीड़ित होते रहेंगे। इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है और समाज के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक लापरवाही के चलते मासूमों की जान जाएगी?
क्या हुआ था… जानें पूरा मामला
पुलिस के मुताबिक, 1 अगस्त को सुबह 11 बजे श्रेष्ठा सतपथी अपनी स्कूटी से तेलीबांधा चौक की ओर जा रही थी। तभी सर्विस रोड पर विपरीत दिशा से आ रही एसयूवी कार ने उसे टक्कर मार दी। कार को शिखा अग्रवाल चला रही थीं, जो राज्य सेवा के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल की पत्नी हैं। दुर्घटना के बाद शिखा अग्रवाल कार छोड़कर फरार हो गईं। वहां से गुजर रहे एक युवक और युवती ने श्रेष्ठा को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन सिर पर
गंभीर चोट और अत्यधिक खून बहने के कारण उसने दम तोड़ दिया।
जमानत के पीछे का खेल
एक्सीडेंट के बाद शिखा अग्रवाल ने कुछ देर बाद अपनी गाड़ी खम्हारडीह थाने में जाकर खड़ी कर दी, जिससे हिट एंड रन का केस नहीं बन सका और उन्हें थाने से ही जमानत मिल गई। इसके अलावा हादसे के 10 दिन पहले भी शिखा का चालान गलत दिशा में गाड़ी चलाने पर किया गया था, जिससे पता चलता है कि उनकी ड्राइविंग में पहले भी
लापरवाही रही है।
राजनीतिक दबाव का आरोप
सतपथी
परिवार का कहना है कि उन्हें राजनीतिक दबाव के कारण न्याय मिलने में देरी हो रही है। उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से इस मामले की सीआईडी जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वे चाहते हैं कि हादसे के जिम्मेदार व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस तत्काल रद्द किया जाए और जांच निष्पक्ष रूप से हो। आभास कुमार सतपथी का कहना है, “हमारी बेटी तो लौटकर नहीं आएगी, लेकिन हम चाहते हैं कि उसकी मौत बेवजह न हो। दोषियों को सजा मिले और समाज में एक संदेश जाए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”